ट्रैफिक चालान से कैसे बचें
चालान से बचने का सबसे पहला तरीका तो यही है कि गाड़ी घर से निकाली ही न जाए. गाड़ी घर से निकलेगी तो सड़कों पर चलेगी. सड़क पर चलेगी तो ड्राइवर को अपना बचपन याद आएगा. बचपन से ही लगभग सभी आम भारत... Read more
एक बार तो लगता है कि झपटकर कर लें, लेकिन फिर दिमाग चोक लेने लगता है. यहां तक आते-आते दिल की मोटरसाइकिल भी तीस से नीचे का एवरेज देने लगती है. गनीमत बस इतनी है कि रुक-रुककर ही सही, चलती तो है.... Read more
झूठा है झूठी ख़बरों की खबर लेने का फेसबुक का दावा
जबसे कैंब्रिज एनालिटका और फेसबुक का चुनावी घोटाला खुला है, फेसबुक के मार्क जकरबर्ग बार बार कह रहे हैं कि उनकी कंपनी फेक न्यूज और अफवाहों से लड़ने के लिए अपनी तकनीक विकसित कर रही है. जब अमेरि... Read more
यहां से डाटा चोरी कर रहा है फेसबुक
28 सितंबर को फेसबुक ने एक प्रेस नोट जारी करके बताया कि उसके सरवर से पांच करोड़ लोगों की प्रोफाइल हैक हो चुकी हैं. हैक बोले तो चोरी. उन प्रोफाइल्स में जो कुछ भी था, वह सब चोरी हो गया. यह चोरी... Read more
जामुन के पेड़ वाला भूत बनना है मुझे
मरने के बाद लोग कहां रहते हैं, मुझे पूरा पता है. गांव के धुनकारी मरने के बाद नीम के पेड़ पर चढ़ा दिए गए लेकिन कुछ दिन बाद कैथे के पेड़ पर पाए जाने लगे. लाली सहाय के बड़े भाई पीपल के पेड़ पर... Read more
आज का लोकतंत्र और कटरा बी आर्ज़ू
कटरा बी आर्ज़ू जब पहली बार मैंने पढ़ना शुरू किया था तो यह मुझे साधारण से मुहल्ले की कहानी लगी थी-जैसा हर मुहल्ला होता है. राही साहब की पाठकों से सीधे एक रिश्ता बना लेने और अपने पाठ के बारे में... Read more
Popular Posts
- हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा
- हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़
- भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़
- यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले
- कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
- खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
- अनास्था : एक कहानी ऐसी भी
- जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा
- मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
- लोक देवता लोहाखाम
- बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
- अलविदा घन्ना भाई
- तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी
- जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम
- अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर
- कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
- चेरी ब्लॉसम और वसंत
- वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
- ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’