तीदांग के चार राठ, चार सौ मवासों की कहानी
ह्या छूङ की कृपा से तीदांग की दल-दल भूमि सूख कर हरे-भरे घास के मैदान में परिवर्तित हो चुकी थीं. एक समय ऐसा आया कि ग्राम सीपू दाङा खर्सा से एक बैल व नागलिंङ, बालिङ से एक बैल चरते-चरते तीदांग... Read more
ग्राम तिदांग के ह्या छूङ सै की कहानी
ग्राम तिदांग के ह्या रंचिम का युग व सिम कच्यरो पैं के युग की समाप्ति के बाद ह्या छूङ सै का जमाना आता है जो इस प्रकार है. ह्या छूङ सै अपने निवास स्थान किदांग तकलाकोट तिब्बत से आसपास के रास्ते... Read more
रौंकली पहलवान की दादागिरी के किस्से
पुराने जमाने में हमारे दादा-दादी (लला-त्यित्यि) व माता-पिताजी कहानियां सुनाया करते थे. ये कहानियां काल्पनिक न होकर सच्ची घटनाओं पर आधारित हुआ करती थीं जिसे सुनकर श्रोतागण दांतों तले ऊंगली दब... Read more
ग्राम तिदांग के सिम कच्यरों पैं की कहानी
तिदांग रंचिम के युग की समाप्ति के बाद तिदांग में सिम कच्यरो पैं (तीन कच्यरो भाई) का युग शुरू होता है. ये सिम कच्यरो पैं तिदांग के निवासी थे. तीनों भाई बलवान के साथ आसापास में उड़ान भी भर सकते... Read more
तिदांग गाँव के रंचिम ह्या की कहानी
सबसे पहले तिदांग ग्राम में रंचिम ह्या रहते थे. वे एक शक्तिशाली, पराक्रमी, प्रभावशाली व धनुर्धर महापुरुष थे. उनके एक अति सुन्दर हष्ट-पुष्ट एकलौता पुत्र था जिन्हें मंगला ह्या के नाम से जाना जा... Read more
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