जब तलक बैठुल कुनैछी, बट्यावौ- बट्यावौ है गेपराण लै छुटण निदी, उठाऔ- उठाऔ है गे(Sherda Anpadh Poem) जो दिन अपैट बतूँ छी,वी मैं हूँ पैट हौ,जकैं मैं सौरास बतूँ छी,वी म्यैर मैत हौ lमाया का मारगा... Read more
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