रामजन्म से उनकी जलसमाधि तक
हमरी सीता हैं रात अँजोरी तोहरे राम हैं कारा भँवरवा जब कवि अपनी बोली -भाषा या कहें कि मातृभाषा में कविता रचता है ,तो वह मात्र कविकर्म ही नहीं कर रहा होता है, अपितु वह अपनी लोकपरंपरा, संस्कार... Read more
सरलता जो सहजता में तरमीम होती है
संतोष कुमार तिवारी के काव्य संकलन ‘अपने-अपने दंडकारण्य’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी (Review of Santosh Kumar Tiwari Book Amit Srivastava) कवि का ये दूसरा काव्य-संग्रह है जिसमें जीवन की विविध भाव... Read more
कवि, लेखक महेशचंद्र पुनेठा की यह किताब शिक्षा के अनेक अनसुलझे -अधूरे सवालों का मात्र दुहराव भर नहीं, जैसा आपने और किताबों मे पढ़ा होगा ; बल्कि इसमें लेखक सुचिन्तित अध्यापक के साथ – साथ... Read more
बनारस के निष्कलुष हास्य और शार्प विट से बुना गया है आशुतोष मिश्रा का पहला उपन्यास
‘राजनैत’ लेखक आशुतोष मिश्र का पहला उपन्यास है. अपनी पहली ही रचना में उन्होंने प्रवाहमय विट-संपन्न गद्य लिखा है. उनमें एक समर्थ प्रतिभाशाली लेखक की झलक मिलती है. Review Ashutosh M... Read more
ललित मोहन रयाल की नई किताब
कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ [ललित मोहन रयाल (Lalit Mohan Rayal) कृत ‘अथश्री प्रयाग कथा’ के बहाने प्रयाग के ‘बहबूद के सामाँ’* की पड़ताल] -अमित श्रीवास्तव तुलसीदास जी कहते हैं हाथी के बराबर बड़े पापो... Read more
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