पहाड़ की यादों को कैद करने वाला पिताजी का कैमरा
जिस आदमी ने ताज़िंदगी कलाई पर घड़ी न पहनी हो, अपने खरीदे रेडियो-टीवी में खबर न सुनी हो उस आदमी के पास भी कोई गैजेट रहा हो, क्या ये कहीं से सम्भव लगता है. पर ऐसा था. पिताजी के पास अपना एक कैम... Read more
बच्चों के लिये पारम्परिक धुनों में लोकवाद्यों के बेहतरीन प्रयोग के साथ उत्तराखण्ड परिचय गीत श्रृंखला
यह सुखद संयोग है कि भारत सरकार द्वारा जिस समय नयी शिक्षा नीति को स्वीकृति प्रदान की गयी ठीक उसी समय उत्तराखण्ड के अकादमिक संस्थान SCERT ने उत्तराखण्ड विषयक आधारभूत सूचनाओं को स्थानीय भ... Read more
रूमानी नहीं रौद्र होता है पहाड़ों का सावन
भूगोल न सिर्फ़ खानपान, वेशभूषा, आवास को बल्कि साहित्य को भी प्रभावित करता है. खासकर गीतों को. सावन को ही ले लीजिए. भारत के मैदानी क्षेत्रों की बात करें तो सावन सर्वाधिक रूमानी महीना है... Read more
तस्मै श्री गुरुवे नमः – गुरु पूर्णिमा पर विशेष
द्रोणाचार्य पहले राजकीय शिक्षक थे. भीष्म पितामह द्वारा नियुक्त. उनसे पहले भी कुछ रहे होंगे पर उनका स्टेटस कैबिनेट दर्जे वाला रहा. द्रोणाचार्य जी मिलिटरी साइंस में नियुक्त थे. थ्योरी का पेपर... Read more
डिप्लोमा इंजीनियरिंग के उस लड़के का सुनाया किस्सा मैं कभी नहीं भूल सकता. भूलने वाली बात है भी नहीं. रैगिंग का जिक्ऱ आते ही वो मुस्करा कर, सगर्व बताता कि मुझे तो फर्स्ट इयर में रैगिंग से कोई... Read more
बिजलि भूमि : जनपक्षीय आंदोलनों को आवाज़ देने वाला नरेन्द्र सिंह नेगी का जनगीत
केदारनाथ आपदा को सात साल हो गए हैं पर घाव अब भी बने हैं. अनियोजित विकास भी इसके प्रमुख कारणों में से एक रहा. खास कर बड़े बाँधों से आने वाले कथित विकास. बाँधों पर सवाल विभिन्न मंचों से अनेक र... Read more
बचपन की सबसे सुरीली यादों में से एक का नाम है हीरा सिंह राणा. वो बचपन जिसे कुमाउंनी और गढ़वाली में भेद मालूम न था. और वो बचपन जिसमें खेल-खिलौने, पिक्चर-सर्कस के बीच गीतों के लिए बहुत कम जगह... Read more
पहाड़ में हर आम-ओ-ख़ास के कवि हैं शेरदा
शेरदा अनपढ़, उत्तराखण्ड के एक ऐसे कवि जिसे काव्यकर्म के लिए किसी पढ़ाई-लिखाई की जरूरत न थी. फिर भी समाज और परिवेश को पढ़ने में वो नम्बर वन थे. लोग उनकी पढ़ाई-लिखाई पर सवाल उठाएँ इससे पहले ही... Read more
अगर कोई मुझे पूछे कि बच्चों के गीतों और प्रौढ़ों की कविताओं में क्या अंतर होता है तो मैं कहूंगा, वही जो किसी पहाड़ी स्रोत के जल और आर.ओ. के पानी में होता है. पहले पे कोई ठप्पा नहीं पर अपरिमि... Read more
हेमवती नंदन बहुगुणा का बचपन और प्रारम्भिक शिक्षा
दुनिया मुझे हेमवती नंदन बहुगुणा के नाम से जानती है. गाँव वालों के लिए मैं कळ्या था. साँवले वर्ण के कारण. काकी-ताई-दादी के लिए मैं हमेशा कळ्या ही रहा. मैं भी कभी कुछ भिजवाता तो कहता कि कहना क... Read more
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