[पिछली क़िस्त: 24 अप्रैल 1884 को सबसे पहले रेल पहुंची थी काठगोदाम में] काठगोदाम में गौला नदी पर सन 1913-14 में लार्ड हार्डिंग ने 350 फीट लंबा बहुत आकर्षक धनुषाकार पुल बनवाया. जिसमें नीचे से... Read more
[पिछली क़िस्त: 1888 में अंग्रेजी मिडिल स्कूल की तरह शुरू हुआ था हल्द्वानी का एम. बी. कॉलेज] लकड़ी का कारोबार यहाँ बहुतायत में होता था तथा काठगोदाम में काठबांस की चौकी थी. पहाड़ों से गौला में ‘... Read more
मोटर गाड़ियों के आने के काफी पहले काठगोदाम और नैनीताल के बीच यातायात की समस्याओं से निबटने के लिए अंग्रेजों द्वारा अनेक योजनाएं बनाई गयी थीं. इनमे सबसे पहली थी इन दो जगहों के बीच सामान के ढुल... Read more
1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120 बरस पहले के कुमाऊं-गढ़वाल के बारे में बहुत दिलचस्प विवरण पढ़ने को मिलते हैं. Tonga Service in... Read more
काठगोदाम का गौरवशाली इतिहास
भारतीय रेलवे पूर्वोत्तर मंडल (North Eastern Railway/NER) के आखिरी रेलवे स्टेशन (Railway Station) के रूप में काठगोदाम (Kathgodam) को हर कोई जानता-पहचानता है. इसके अलावा यह उत्तराखण्ड के कुमाऊ... Read more
उत्तराखण्ड में शीतला देवी के विशिष्ट रूप
शीतलादेवी के मंदिर उत्तराखण्ड के अनेक स्थानों में हैं. कुमाऊं में यह बरौरी, द्वाराहाट, शीतलाखेत, अल्मोड़ा तथा काठगोदाम में हैं. काठगोदाम स्थित शीतलादेवी के विषय में मान्यता है कि इसे बदायूं क... Read more
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