12 नवम्बर, 2019 की रात वैकुंठ चतुर्दशी मेला, श्रीनगर (गढ़वाल) में गढ़-कुमाऊंनी कवि सम्मेलन के मंच पर नरेन्द्र सिंह नेगी एवं अन्य कवियों के मध्य जनकवि हीरा सिंह राणा भी शोभायमान थे. प्रिय मित... Read more
जाति की जड़ता जाये तो उसके जाने का जश्न मनायें
उत्तराखंड के शिल्पकार वर्ग में सामाजिक-शैक्षिक चेतना के अग्रदूत बलदेव सिंह आर्य (12 मई, 1912 से 22 दिसम्बर, 1992) का आज जन्मदिन है. सन् 1930 में 18 वर्ष की किशोरावस्था में निरंकुश बिट्रिश सत... Read more
बीते 18 मार्च को उत्तराखण्ड में सामाजिक चेतना के अग्रदूत ‘बिहारी लालजी’ का निधन हो गया. सर्वोदयी विचारधारा के अग्रणी बिहारी लाल जी ने टिहरी जनपद की बालगंगा घाटी में स्थित प्राचीन... Read more
ओशो कहते हैं कि ‘संतान कितनी ही बड़ी क्यों न हो जाए, अपने माता-पिता से बड़ी कभी नहीं हो सकती.’ लेखक ललित मोहन रयाल का अपने पिता मुकुन्द राम रयाल पर लिखी किताब ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’ का मु... Read more
हिमालय की लोकदेवी झालीमाली
उत्तराखंड में देवी भगवती के नौ रूपों यथा- शैलपुत्री, ब्रहृमचारिणी, चन्द्रघंटा, कुशमांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री के अतिरिक्त अन्य कई स्थानीय रूप हैं. इनमें न... Read more
मडुवे की गुड़ाई के बीच वो गीत जिसने सबको रुला दिया
चौमास (बरसात) में बारिश से जरा सी राहत मिली कि सारे गांव के लोग कोदा-झंगोरा गोड़ने खेतों की ओर चल पड़ते. मर्द बैल जोत कर कोदे में ददंला लगाते और छुट्टी पायी. बाकी काम महिलाओं के हिस्से. खरपत... Read more
शालिग मामा जी की शादी (26 अक्टूबर 1967 तारीख मामी जी ने बतायी है) की याद है. बरात तल्ली चामी से नैल गांव (लगभग 10 किमी पैदल) जानी थी. रॉकी (मौसी का लड़का) अर मैंने बरात में जाने का गुपचुप प्ल... Read more
बचपन में हम बच्चों की एक तमन्ना बलवान रहती थी कि गांव की बारात में हम भी किसी तरह बाराती बनकर घुस जायें. हमें मालूम रहता था कि बड़े हमको बारात में ले नहीं जायेंगे. पर बच्चे भी उस्तादों के उस... Read more
‘‘आज तक राजा ने हमको पढ़ने-लिखने का अवसर नहीं दिया जिससे हम बायां अंगूठा लगाने को मजबूऱ हैं, लेकिन अब अगर राजा के कर्मचारी ‘कर’ आदि वसूलने आयें तो हमें उन्हें अपना दायां अंगूठा दिखाना चाहिए... Read more
‘जिस अंचल में बलभद्र सिंह जैसे वीरों का जन्म होता है, उसकी अपनी अलग रेजीमेंट होनी ही चाहिए.’ कमान्डर इन चीफ, पी. रोबर्टस ने सन् 1884 में तत्कालीन गर्वनर जनरल लार्ड डफरिन को गढ़वालियों की एक... Read more
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