अब ठंड के मौसम में कितना ही जतन करो,ओढ़ो-ढको. बिना आंग तापे बदन सेके, थुरथुराट दूर कहाँ होती. लकड़ी क्वेले सुलगाये बगैर अकड़ा बदन गर्माता ही कहाँ? काम के जोर में नहीं आता. तो कुकुड़िये रहने... Read more
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