मेले में अकेले
कहो देबी, कथा कहो – 35 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 34 उन्हीं दिनों एक लंबी यात्रा पिथौरागढ़ तक की भी की. जिन वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक शर्मा जी ने मुझे बैंक के माहौल में खुद को खपाने की आत्... Read more
कहो देबी, कथा कहो – 34 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 33 वह नई शाखाओं के खुलने और ऋण मेलों का दौर था. गांव-गांव और घर-घर तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने की चर्चाएं की जाती थीं. उस माहौल में लखन... Read more
नाटक में नाटक
कहो देबी, कथा कहो – 33 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 32 नौकरी की आपाधापी में ही जब पता लगा कि हमारे बैंक में खेलकूद और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं की भी परंपरा है तो मन उत्साह से भर उठा. तय कि... Read more
इल्म-ओ-अदब का शहर लखनऊ
कहो देबी, कथा कहो – 32 पिछले कड़ी कहो देबी, कथा कहो –31 काम भी खाना-खज़ाना भी, यह सब तो ठीक मगर इल्म-ओ-अदब के गलियारों में भी तो पहुंचना था, जहां बातें हों, मुलाकातें हों और मेरी कलम चलती रहे.... Read more
लखनऊ का लज़ीज़ खाना-खजाना
कहो देबी, कथा कहो – 31 पिछले कड़ी कहो देबी, कथा कहो –30 जानता था, इस शहर में रहना है तो इसकी धड़कनों को सुनना होगा, तभी यह मुझे गले लगाएगा. दो-चार दिन दीप होटल में बिताने के बाद हजरतगंज के चौध... Read more
उत्तराखंड में बीज बचाओ आन्दोलन
80 के दशक तक उत्तराखंड के पहाड़ों में भी हरित क्रान्ति ने जोर पकड़ लिया था. पहाड़ों में सरकारी व कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हरित क्रांति की रासायनिक खेती का प्रचार-प्रसार किया. लोगों... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 66
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 66 पिछली कड़ी का लिंक: हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने- 65 हल्द्वानी (Haldwani) दूसरे अतिक्रमणकारी वे हैं जो भूमिहीन हैं, भवनहीन है और सरकार से मांग... Read more
चल उड़ जा रे पंछी
कहो देबी, कथा कहो – 29 पिछली कड़ी: कहो देबी, कथा कहो – 28, पंतनगर के सन्नाटे में धांय-धांय गोलीकांड क्या हुआ कि शांत पंतनगर की फ़िजा ही बदल गई. चारों ओर निराशा का माहौल दिखाई देता. गोलीकांड के... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन भाग-16 (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्षा करें.) क्रिकेट के खेल में ऐसा क्या था इसे मैं ठीक से चिन्हित तो आज भी नहीं... Read more
पंतनगर के सन्नाटे में धांय-धांय
कहो देबी, कथा कहो – 28 पिछली कड़ी: कहो देबी, कथा कहो – 27, आसमान टूट पड़ा क्या नहीं था तब! वर्ष 1975 तक पंतनगर विश्वविद्यालय में 36 प्रमुख विषयों में स्नातक और 11 विषयों में स्नातकोत्तर तथा पी... Read more
Popular Posts
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा