पहाड़ और मेरा जीवन भाग-15 (पिछली क़िस्त : और इस तरह रातोंरात मैं बुद्धू बच्चे से बना एक होशियार बालक ) (पोस्ट को लेखक सुन्दर चंद ठाकुर की आवाज में सुनने के लिये प्लेयर के लोड होने की प्रतीक्ष... Read more
च्येपी बंग्बा का नारायण आश्रम और सोसा गाँव
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धारचूला तहसील के सोसा गाँव के इलाके में अवस्थित नारायण आश्रम को रं समाज में बहुत सम्मान और भक्ति के साथ देखा जाता है. समुद्र तल से 2,734 मीटर की ऊँचाई पर स्थित... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 78
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
एक चुटकी जखिया में बसा स्वाद और खुश्बू का समंदर
अगर आप पहाड़ में हैं और किसी भी साग-सब्जी को खाने के दौरान दांतों के बीच आकर कुछ बारीक, करारे दाने आपके मुंह में रूहानी महक भरा स्वाद घोल दें. अब यह महक जीभ के जायके में घुलकर आपके दिलो-दिमाग... Read more
शेरवुड स्कूल का अमिताभ बच्चन और नैनीताल के छोकरे
1958-60 के वर्षों में जब अमिताभ बच्चन नैनीताल के मशहूर शेरवुड कालेज में पढ़ रहे थे उन दिनों मैं नगर पालिका के जूनियर हाईस्कूल में पढ़ रहा था. वे हमारे ही नहीं, नैनीताल के भी अच्छे दिन थे. शहर... Read more
कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 77
डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है – “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि वृहद हिंदी कोश का सन्दर्भ लिया जाए तो उस में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई... Read more
लच्छू कोठारी और उसके सात बेवकूफ बेटे
अभी पिछले दशक तक की बात थी जब कुमाऊं के स्कूलों में मास्टर बच्चे की मूर्खतापूर्ण हरकत पर ताना देकर कहता – “तुझसे भली तो लच्छू कोठारी की संतान.” लच्छू कोठारी की संतानों के किस्से पहाड़ क... Read more
पिछौड़ा उत्तराखण्ड का एक पारम्परिक परिधान
पिछौड़ा उत्तराखण्ड में सभी मांगलिक कार्यक्रमों में विवाहित महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक पारंपरिक परिधान है. पुराने समय में पिछौड़ा शादी के समय केवल दुल्हन द्वारा ही पहना जाता था. जिसे लड़के... Read more
आज है आंचलिक त्यौहार वट सावित्री
वैश्वीकरण और बाजारीकरण की आंधी में लोकोत्सवों, स्थानीय त्यौहारों का वजूद ख़त्म होता जा रहा है, या फिर उनका मूल स्वरुप लुप्त होता जा रहा है. उत्तराखण्ड के भी कई मेले, त्यौहार अपना मूल स्वरुप ख... Read more
रामलीला पर्वतीय जनजीवन की ‘लाइफ-लाइन’
रामलीला भारतीय जनमानस की एक ऐसी तस्वीर है, जिसमें कोई भी भारतीय अछूता नहीं है. राम ऐसे जननायक थे कि उन्होंने निर्विवाद रूप से भारतीय संस्कृति के मूल्यों, मर्यादाओं को मानकर अपना जीवन एक आदर्... Read more
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