सामने पंचाचूली बांहें फैलाए दिखी. उसका ग्लेशियर किसी खौलते हुए लावे की तरह डरावना प्रतीत हो रहा था. कुछ पलों तक उसे निहारने के बाद तन्द्रा टूटी तो दांई ओर जसुली दत्ताल की एक खूबसूरत मूर्ति द... Read more
दारमा के बेदांग में तैनात पंचाचूली के पहरेदार
‘क्यों आए, कैसे आए, परमिट दिखाओ…’ के सवाल उठने लाजमी थे. इस पर हमने उन्हें अपने परमिट दिखाए. रजिस्टर में दर्ज करते हुए जब उन्हें भान हुआ कि हममें से दो पत्रकार हैं तो उनका... Read more
गहरे हरे रंग का गौरीकुंड और सिनला पास का शिखर
पंकज, पूरन और महेशदा तेजी से चल रहे थे. उनके पीछे कुछ दूरी पर संजय था और सबसे पीछे बेढब रकसेक को लादे मैं चल रहा था. मौसम खुशनुमा था तो मुझे अब चिंता नहीं थी कि हम दर्रे के पार बेदांग में कब... Read more
अद्भुत है पार्वती ताल
लगभग दो किमी की परिधि से घिरा पार्वती ताल बेहद खूबसूरत था. ताल किनारे चहल-कदमी करते हुए पंकज और मैं तीनों साथियों को पंचस्नान करते देख रहे थे. वे श्रद्धा में डूब-उतरा रहे थे. पूरन और महेश दा... Read more
कुटी गाँव का महाभारत के साथ सम्बन्ध
कुटी से ज्योलिंगकांग करीब 13 किमी का रास्ता शांत और धीरे-धीरे ऊंचाई लिए है. कुटी गांव की सीमा पर पानी के दो धारे दिखाई दिए. एक को पीने का पानी भरने और दूसरे को नहाने और कपड़े धोने के लिए लिह... Read more
कुटी गांव का इतिहास और उससे जुड़े रोचक किस्से
बच्ची अपने नेपाली गीतों में ही खोई हुई थी. तभी मेरे मित्र डी.एस.कुटियालजी आते दिखे. मैं उनकी ओर लपक लिया. वह तब बागेश्वर में वायरलेस विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर थे. मैंने उन्हें बताया था क... Read more
सुबह जागे तो बाहर का नजारा शांत था. सर्पाकार कुट्टी यांग्ती नदी के सामने सूरज की किरणों से सुनहरी आभा लिए धवल हिम शिखर लुभा रहे थे. ये अन्नपूर्णा व आपी-नाम्फा के शिखर थे. टैंट पैक करने के सा... Read more
अब दिखावे का ही रह गया है भारत-तिब्बत व्यापार
नाभीढांग की सुबह खुशनुमा था. चाय पीकर हमने वापसी की राह पकड़ी. कालापानी पहुंचने पर पता चला कि आगे कहीं गर्म पानी का स्रोत है. पुल पार कुछ दूर गए ही थे कि एक जगह पर नजर पड़ी, ‘सल्फ... Read more
साथियों की त्योरियां चढ़ने पर पंकज मुस्करा दिया. उसने सफाई दी, “अरे! कोर्स में यही सब सिखाया जाता है… क्या पता कब क्या मुसीबत आ जाए… इसलिए यह सब जरूरी होता है… वैसे भ... Read more
गुंजी से निकलते-निकलते आठ बज गए. आगे लंबे मैदान में एक जगह एक शिलापट्ट स्थापित था. ऐसा लग रहा था शायद यह तिब्बती भाषा में लिखा होगा. गुंजी में कुछ नौजवान मिले, जो तिब्बत के तकलाकोट कस्बे में... Read more
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