ट्रेल पास अभियान भाग – 5
पिछली कड़ी पिण्डारी कांठा में चार दिन पांच अक्टूबर के प्रातः ही चाय के पश्चात् चन्दोल, तेवारी, शाहजी और कीर्तिचन्द दो कुलियों को साथ लेकर आगे निकल गये. ग्यारह बजे हमने भी प्रस्थान किया. तख्ता... Read more
ट्रेल पास अभियान भाग – 4
पिछली कड़ी 30 सितम्बर के प्रातः एक नेपाली कुली को अल्यूमीनियम की सीढ़ी के शीघ्र बुढ़ियागल के नाले तक पहुंचाने हेतु भेजा गया, साथ में दो सदस्य भी सहायक के रूप में गये. राजेश शाह, राकेश शाह और कि... Read more
ट्रेल पास अभियान भाग – 3
पिछली कड़ी दूसरे दिन प्रातः चाय के पश्चात् शाह जी थ्रीश कपूर और मैं पुनः खाती गांव गये. कुलियों के लिये राशन तथा आलू खरीदा गया. कपूर साहब विडिया फिल्म लेना चाहते थे. परन्तु बैट्री डाउन होने क... Read more
ट्रेल पास अभियान भाग – 2
पिछली कड़ी पहली जून 1994 को जब अस्कोट-आराकोट अभियान दल मुनस्यारी पहुंचा, दल के अधिकांश सदस्य मेरे पूर्व परिचित मित्र थे. उनके आवास तथा भोजन की उचित व्यवस्था की गई. मैंने लेह-लद्दाख भ्रमण का क... Read more
ट्रेल पास अभियान भाग – 1
छानपुर और जोहार घाटी के मध्य लगभग 18000 फिट ऊॅंचे गिरिपथ को पार कर तिब्बत व्यापार हेतु सुगम मार्ग खोज निकालने के उद्देश्य से दानपुर क्षेत्र के सूपी ग्राम निवासी मलूक सिंह का प्रयास सन् 1830... Read more
Popular Posts
- हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा
- हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़
- भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़
- यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले
- कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
- खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
- अनास्था : एक कहानी ऐसी भी
- जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा
- मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
- लोक देवता लोहाखाम
- बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
- अलविदा घन्ना भाई
- तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी
- जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम
- अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर
- कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
- चेरी ब्लॉसम और वसंत
- वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
- ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’