नदी अब धीरे-धीरे उतर रही थी. बरसाती लहरों का उफान किनारों की नई सीमाएँ बना गया था. पानी उतरने के बाद उजली रेत में उभर आये काले-भूरे पत्थर जैसे रणभूमि में युद्धोपरांत क्षत-विक्षत हो बिखरे अंग... Read more
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