जिसके हम मामा हैं – शरद जोशी के बहाने
“बाढ़ और अकाल से मुर्गा बच जाए मगर वह हमसे सुरक्षित नहीं रह सकता” कमिश्नर ने कहा और इस मजा पर सब जोर से हंसने लगे. बाहर बाढ़ और अन्दर लंच चल रहा है. भारतीय दर्शक कुछ समय तक मंच पर... Read more
मैं शायद अमर हो जाऊं
अमरता के अहसास की भयावनी रात -शरद जोशी कल रात जब सोया तो एकाएक मैंने अनुभव किया कि हिंदी साहित्य का मोटा इतिहास मेरे सीने पर रखा है और उस पर एक स्कूल मास्टर बैठा बैंत हिला रहा है. एकाएक मेरे... Read more
अच्छे अध्यक्षों की अदा
अध्यक्ष महोदय -शरद जोशी हर शहर में कुछ अध्यक्ष किस्म के लोग पाए जाते हैं. यह शहर के साइज़ पर निर्भर करता है कि वहां कितने अध्यक्ष हों. छोटे शहरों में एक या दो व्यक्ति ऐसे होते हैं जो हर कहीं... Read more
चूहे को साहित्य से क्या करना
अथ श्री गणेशाय नम: -शरद जोशी अथ श्री गणेशाय नम:, बात गणेश जी से शुरू की जाए, वह धीरे-धीरे चूहे तक पहुँच जाएगी. या चूहे से आरंभ करें और वह श्री गणेश तक पहुँचे. या पढ़ने-लिखने की चर्चा की जाए.... Read more
सुना आपका ‘ता’ गायब हो गया था पिछले दिनों
नेतृत्व की ताकत -शरद जोशी नेता शब्द दो अक्षरों से बना है- ‘ने’ और ‘ता’. इनमें एक भी अक्षर कम हो तो कोई नेता नहीं बन सकता . मगर हमारे शहर के एक नेता के साथ एक अजीब ट्र... Read more
जब तक ऐक्सीडेण्ट न हो, हमें जागते रहना है
रेल यात्रा -शरद जोशी रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं. ठीक कहते हैं. रेलें हमेशा प्रगति करती हैं. वे बम्बई से प्रगति करती हुई दिल्ली तक चली जाती हैं औ... Read more
उम्मीद पर तो हर पार्टी कायम है
एक भूतपूर्व मंत्री से मुलाकात – शरद जोशी मंत्री थे तब उनके दरवाज़े कार बँधी रहती थी. आजकल क्वार्टर में रहते हैं और दरवाज़े भैंस बँधी रहती है. मैं जब उनके यहाँ पहुँचा वे अपने लड़के को दू... Read more
जिसके हम मामा हैं – शरद जोशी एक सज्जन बनारस पहुँचे स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया ‘मामाजी! मामाजी!’ – लड़के ने लपक कर चरण छूए वे पहचाने नहीं बोले –... Read more
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