दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन
Posted By: Sudhir Kumaron:
दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन – (२) बैठे रहे तसव्वुर-ए-जानाँ किये हुए दिल ढूँढता है फिर वही फ़ुरसत के रात दिन… जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर – (२) आँखों प... Read more
पार्श्वगायक मुकेश ने हिंदी सिनेमा को एक-से-एक नायाब नगमे दिए. उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड तो कई मिले (चार बार), लेकिन राष्ट्रीय अवार्ड हासिल नहीं हुआ. एकमात्र राष्ट्रीय अवार्ड जो उनके हिस्से आया... Read more
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