छिलुके की रोशनी में चौथर का कोना कोना खिल उठा था. कई महीनों बाद दो दिन पहले ही चौथर लिपा…
भगवत गीता के श्लोकों का यह अनुवाद चारुचन्द्र पांडे द्वारा किया गया है. काफल ट्री में यह अनुवाद पुरवासी पत्रिका…
सामान्य जनों या आशुकवियों द्वारा मौखिक परम्परा के रुप में अभिव्यक्त साहित्य लोक साहित्य कहलाया. परिवेश के अनुसार उसकी अभिव्यक्ति…
हमारे एक कुमाउंनी मित्र ने कुछ समय पूर्व अपनी आंखों का आपरेशन कराया. उन्हें मोतियाबिंद हो गया था. मिलने पर…
इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सफ़ेद को सुंदर और काले को बदसूरत मानने के चलन में विज्ञापन…
पिछली कड़ी पिण्डारी कांठा में चार दिन पांच अक्टूबर के प्रातः ही चाय के पश्चात् चन्दोल, तेवारी, शाहजी और कीर्तिचन्द…
पिछली कड़ी 30 सितम्बर के प्रातः एक नेपाली कुली को अल्यूमीनियम की सीढ़ी के शीघ्र बुढ़ियागल के नाले तक पहुंचाने…
पिछली कड़ी कूटनीतिज्ञ पूरिया नैथानी की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण यात्रा 1680 में मुग़ल दरबार में रही. मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने…
पिछली कड़ी दूसरे दिन प्रातः चाय के पश्चात् शाह जी थ्रीश कपूर और मैं पुनः खाती गांव गये. कुलियों के…
मध्यकालीन गढ़वाल की राजनीति जिसे गढ़ नरेशों के युग से भी जाना जाता है, में कुछ असाधारण व्यक्तियों ने अपनी…