हिंदी में डी.लिट. की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीय ‘डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल’
उत्तराखण्ड में साहित्य, ज्योतिष और दर्शन की परम्परा प्राचीन रही है. उत्तर वैदिक काल में इस अंचल में भारद्वाज आश्रम, कण्वाश्रम, बदरीकाश्रम और शुक्राश्रम जैसे सिद्धपीठों से वेद-वेदागों का पठन-... Read more
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग – 2
पिछली कड़ी विवाहोपरान्त पुत्री की विदाई सर्वत्र करूण होती है. वह मां की दुलारी है, जिसने उसे पालपोस कर बड़ा किया, उपयुक्त गृहिणी के सभी गुण लाने का प्रयास किया है. किन्तु आज वह वृ़द्धा भी अपने... Read more
कुमाऊंनी लोकगीतों में सामाजिक चित्रण भाग 1
लोकगीतों से हमारा तात्पर्य लोक साहित्य के उन रूपों से है, जो प्रायः अलिखित रहकर जन-साधारण द्वारा निर्मित होते हुए एवं परंपरा से देश काल की विविध परिस्थितियों का चित्रण करते हुए उनके बीच प्रच... Read more
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