औरत पहाड़ का नाम है
आंचलिक भाषा मेंमांगलिक गीत गाते हुएवे रोपती हैंज़िदगी की जड़ें पानी में रंग-बिरंगी पोशाकेंमाटी में सने हाथजैसेपिघले सोने में सने हाथ ज़मीन को दिन भर नमन करती कमरशाम को चूल्हे से होते हुएबिस्... Read more
उसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता है
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 7 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
ऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिए
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
जब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहल
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
जिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतर
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 4 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
वे मगहर में नहीं अपने घर में मर रहे हैं
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 3 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
एक दिन में नष्ट किया जा सकता है कोई भी पुस्तकालय
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 2 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
एक बुरूंश कहीं खिलता है
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 1 एक बुरूंश कहीं खिलता है – हरीश चन्द्र पांडे खून को अपना रंग दिया है बुरूंश ने बुरूंश ने सिखाया है फेफड़ों में भरपूर हवा भरकर कैसे हंसा जाता है क... Read more
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