फूलदेई: बाजार की मार से हांफता त्यौहार
Posted By: Sudhir Kumaron:
बात ज्यादा पुरानी भी नहीं है. उत्तराखण्ड के पहाड़ की तलहटी पर कुछ बसावटें कस्बे के सांचे में ढल रही थी. ये कस्बे तिजारत के अड्डों से ज्यादा कुछ नहीं थे. इनमें ज्यादातर पहाड़ी लोग ही आ बसे थे.... Read more
पहाड़, पर्यावरण और प्लास्टिक का कचरा
Posted By: Sudhir Kumaron:
अस्सी के दशक के शुरुआती वर्षों के दौरान मेरे गाँव के लोग स्थायी गाँव से दूर खेड़े (मंजरों) में जमीन कमाने जाते थे. गाँव के अन्य बच्चों की तरह मैं भी अपने परिवार वालों के संग हो लेता. वहीं खेल... Read more
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