(पिछली कड़ी – सूरज की मिस्ड काल भाग- 2) गुलाबी जाड़े की एक सुबह सुबह उठकर चाय मुंह धो लिये हैं. चाय मंगा लिये हैं. एक के बाद दूसरी भी. पीते हुये ब्लॉग-स्लॉग भी देखते जा रहे हैं. फ़ेसबुक भी खुला... Read more
(पिछली कड़ी – सूरज की मिस्ड काल भाग- 1) न जाने नछत्रों से कौन, निमंत्रण देता मुझको मौन – सुमित्रानंदन पंत पिछले हफ़्ते अखबार में एक खबर पढ़ी. ब्रह्माण्ड में एक बेहद भारी ब्लैकहोल एक सूदूर... Read more