पहाड़ से मैदान की ओर जाने पर लगता है जैसे सीढ़ी से उतरते हुए चौक में आ रहे हों. कोटद्वार रेलवे स्टेशन की सीढ़ियों में पटर-पटर उतरते हुए मन में अक्सर यही बात आती है. करीब बीस साल पहले की बात... Read more
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