क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?
लघु पत्रिका आन्दोलन की शुरुआत व्यावसायिक पत्रिकाओं को चुनौती देने के उद्देश्य से हुई थी. साठ के दशक में ‘समानांतर’ कला-माध्यमों के रूप में यह लगभग सभी कला-रूपों में एक साथ शुरू हुआ. सिनेमा,... Read more
कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति का तुगलकी फरमान
इन दिनों उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति अपने ऊलजलूल बयानों के कारण चर्चा में हैं. हाल ही में उनके द्वारा प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र विवादों में रहा था जिसमें उन्होंने उत्तरा... Read more
भारतीय भाषाओं के शीर्षस्थ कथाकारों का समागम : ‘कलकत्ता कथा समारोह, 1982’ : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती थी -बटरोही आज सब कुछ कितना बदल गया है! आज बिना अंग्रेजी के सभी भारतीय भाषाओं... Read more
कठपतिया का श्राप
कठपतिया का श्राप चारों ओर छोटे-छोटे पत्थरों से एक गोल घेरा बनाया जाता था जिसके बीच कोई भी आदमी – किसी भी जगह का, किसी भी जाति-धर्म का, जिसका धर्म इन जंगलों की आजीविका से जुड़ा रहता, गोल घेरे... Read more
भारत की पहली लड़ाका कौम : काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा
काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा: भारत की पहली लड़ाका कौम, जो कभी हिमालय से ओड़िसा तक फैली थी -लक्ष्मण सिह बिष्ट ‘बटरोही’ हिमालय की गोद में बसे कुमाऊँ की पुरानी राजधान... Read more
इन दिनों शानी बहुत याद आ रहे हैं. 1965 में जब अक्षर प्रकाशन से उनका उपन्यास ‘काला जल’ प्रकाशित हुआ था, तभी से लेखकों-आलोचकों के द्वारा इस ओर इशारा किया जा रहा था कि भारत के आधुनिक मध्यवर्गीय... Read more
पचास साल पहले इलाहाबाद में कथाकार अशोक कंडवाल के साथ: प्रेमचंद और उनके बेटे की स्मृतियां
अपनी जिंदगी के किसी पुराने टुकड़े को एकदम जीवंत रूप में देखना कितना रोमांचकारी होता है, इसका अहसास मुझे कुछ ही देर पहले तब हुआ जब मुझे पुराने किताबों के ढेर में ‘नई कहानियाँ’ का जनवरी, 1969... Read more
गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से
गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से –बटरोही मेरा जन्म अल्मोड़ा जिले की मल्ला सालम पट्टी के छानागाँव में हुआ था. पुरखे बताते थे कि कई पीढ़ी पहले वे लोग भारत-नेपाल की सीमा पर बहने वाली काली... Read more
काली कुमाऊँ योद्धाओं का क्षेत्र है, अतः यहाँ की सभी परंपराएँ शक्ति (ताकत) से जुड़ी हुई हैं. दानवों की भूमि होने के कारण संभवतः न्याय पक्ष के लिए सहज ही अपने प्राण उत्सर्ग करने की प्रवृत्ति य... Read more
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