परियों के ठहरने की जगह हुई नंदा कुंड
हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 4 (पिछली कड़ियां : हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 1 बागेश्वर से लीती और लीती से घुघुतीघोल हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 2 गोगिना से आगे रामगंगा नदी को रस्सी से पार क... Read more
चफुवा की परियां और नूडल्स का हलवा
हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 3 (पिछली कड़ियां : हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 1 बागेश्वर से लीती और लीती से घुघुतीघोल हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 2 गोगिना से आगे रामगंगा नदी को रस्सी से पार क... Read more
हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 2 (पिछली कड़ी : हिमालय की मेरी पहली यात्रा – 1) सुबह आगे की तैयारी शुरू हुई. नाश्ता कर हम सभी गोगिना गांव की ओर तिरछे रास्ते को चल पड़े. तंबू ने आज भी हमारा पीछा... Read more
बागेश्वर से लीती और लीती से घुघुतीघोल
पहाड़ के युवाओं में हिमालय की यात्राओं के लिए जिस तरह का नैसर्गिक उत्साह पाया जाता रहा है, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है. बागेश्वर में रहने वाले हमारे पत्रकार-लेखक साथी केशव भट्ट, जिन्हें आप पह... Read more
जोहार घाटी का सफ़र भाग – 9
पिछली कड़ी अंधेरा घिरने लगा तो वापस गांव के ठिकाने को चले. तब सायद पांच परिवार ही मिलम में प्रवास पर आए थे. पहले मुनस्यारी के ल्वां, बिल्जू, टोला, मिलम, मर्तोली, बुर्फु, मापा, रेलकोट, छिलास आ... Read more
जोहार घाटी का सफ़र भाग – 8
पिछली कड़ी मौसम को करवट बदलते देख वापस हो लिए. मर्तोली गांव की गलियों में भटकने लगे. जिन गलियों में कभी बच्चे चहकते होंगे वो गलियां सूनसान सोयी हुवी सी महसूस हुवी. 200 मवासों का गांव आज सूनसा... Read more
जोहार घाटी का सफ़र भाग – 7
पिछली कड़ी सुबह बारिश ने जोर पकड़ लिया था. बारिश रूकने का इंतजार करने लगे. लखनऊ की ज्योलोजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम भी बगल में ही रूकी थी. दो माह मिलम ग्लेशियर में शोध करने के बाद अभी वो नीच... Read more
जोहार घाटी का सफ़र भाग – 6
पिछली क़िस्त का लिंक – जोहार घाटी का सफ़र – 5 मुनस्यारी को जोहार घाटी का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. मुनस्यारी तिब्बत जाने का काफी पुराना रास्ता है. उस वक्त जब तिब्बत से व्यापार होता था... Read more
जोहार घाटी का सफ़र भाग – 5
पिछली क़िस्त का लिंक – जोहार घाटी का सफ़र -4 ‘मामा अब नहीं आएंगे हम ट्रैकिंग में… ! मिलम गांव से मुनस्यारी को वापस आते वक्त नितिन के ये शब्द मुझे मुनस्यारी पहुंचने तक कचोटते रहे. ऐ... Read more
जोहार घाटी यात्रा भाग-4
(पिछली क़िस्त का लिंक – जोहार घाटी का सफ़र -3) हमने नर बहादुर को ढूंढने में खुद के खो जाने की बात बताई तो उन्होंने बताया कि पहले जब ये गांव आबाद था तो करीब पांचेक मवासे यहां रहते थे. यहा... Read more
Popular Posts
- उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ
- जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया
- कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी
- पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद
- चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी
- माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम
- धर्मेन्द्र, मुमताज और उत्तराखंड की ये झील
- घुटनों का दर्द और हिमालय की पुकार
- लिखो कि हिम्मत सिंह के साथ कदम-कदम पर अन्याय हो रहा है !
- पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप
- डुंगरी गरासिया-कवा और कवी: महाप्रलय की कथा
- नेहरू और पहाड़: ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में हिमालय का दर्शन
- साधारण जीवन जीने वाले लोग ही असाधारण उदाहरण बनते हैं : झंझावात
- महान सिदुवा-बिदुवा और खैंट पर्वत की परियाँ
- उत्तराखंड में वित्तीय अनुशासन की नई दिशा
- राज्य की संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में महिलाओं का योगदान
- उत्तराखण्ड 25 वर्ष: उपलब्धियाँ और भविष्य की रूपरेखा
- आजादी से पहले ही उठ चुकी थी अलग पर्वतीय राज्य की मांग
- मां, हम हँस क्यों नहीं सकते?
- कुमाउनी भाषा आर्य व अनार्य भाषाओं का मिश्रण मानी गई
- नीब करौरी धाम को क्यों कहते हैं ‘कैंची धाम’?
- “घात” या दैवीय हस्तक्षेप : उत्तराखंड की रहस्यमयी परंपराएँ
- अद्भुत है राजा ब्रह्मदेव और उनकी सात बेटियों के शौर्य की गाथा
- कैंची धाम का प्रसाद: क्यों खास हैं बाबा नीम करौली महाराज के मालपुए?
- जादुई बकरी की कहानी
