विश्व पर्यटन दिवस: भारत में पर्यटन की संभावनाएँ
विश्व पर्यटन दिवस की शुरूआत 1980 में हुई. तब से हर वर्ष 27 सितम्बर को दुनिया भर में विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है. विश्व में पर्यटन के प्रति जागरूकता व प्रचार-प्रसार के लिए इस दिन को चुना... Read more
वर्तमान समय ऐसा है कि किसी विश्वविद्यालय की असल स्थिति का जायजा लेना हो तो उठा कर उसकी वर्ड या नेशनल रैंकिंग देख लीजिए आपको एक आइडिया मिल जाएगा कि विश्वविद्यालय के हालात क्या हैं. टाइम्स हाय... Read more
पौड़ी जिले कल्जीखाल ब्लॉक के सांगुड़ा गॉंव में रहते हैं 83 वर्षीय किसान विद्यादत्त शर्मा. इस नाम से अब तक लोग अंजान ही थे लेकिन जब से खबर आई कि उन पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म को ऑस्कर के ल... Read more
1997 में आई नाना पाटेकर की प्रसिद्ध फिल्म यशवंत का डायलॉग ‘एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है’ सुनने के बाद मच्छरों के वजीर-ए-आजम ने एक आपात बैठक बुलाई. बैठक में गहन चर्चा के बाद निष्कर्ष य... Read more
रेडियो से समाचारों की सनसनी तक का सफ़र
‘ये ऑल इंडिया रेडियो है. थोड़ी देर में आप समाचार सुनेंगे’. शाम के आठ बजते और दादा जी आँगन में लगी चारपाई पर अपने फिलिप्स का रेडियो लेकर समाचार सुनने बैठ जाते. अलबत्ता आंगनवाड़ी में पढ़ने वाल... Read more
अफवाहों का ज़माना है, अफवाहों से बचो!
अफवाहों के न सिर होता है न पैर. पल में तोला पल में माशा, अफवाहें न जाने कितने ही रूप बदलती हैं. ऐसा नहीं है कि अफवाहों का बाजार हालिया तौर पर गर्म होना शुरू हुआ है. अफवाहें तो महाभारत काल से... Read more
मंदी अर्थव्यवस्था का श्रृंगार है
मंदी अर्थव्यवस्था का श्रृंगार है. मंदी का देश में आना बहुत जरूरी है जिससे समझ में आ सके कि मंदी के कारण अर्थव्यवस्था में क्या-क्या समस्याएँ आ सकती हैं. मंदी के कारण ही विश्व पटल में देश का न... Read more
कल रात आज़ादी सपने में आई थी. उदास, गुमसुम सी सिरहाने पर बैठी किसी सोच में डूबी हुई. तफ्तीश की तो पता चला कि आजादी, आजाद भारत में गुलामी देखकर दुखी है. पहले तो बात ही समझ नहीं आई कि आजाद भार... Read more
जितनी बार वह लड़का अपने घर फ़ोन लगाने की कोशिश करता हर बार उसे सिर्फ यही क्म्प्यूटराइज्ड आवाज़ सुनने को मिलती- “जिस नम्बर से आप संपर्क करना चाहते हैं वह नेटवर्क कवरेज एरिया से बाहर है. ”वह प... Read more
दरियागंज का ऐतिहासिक किताब बाजार बंद
दिल्ली में किताबों के क़रीब जाने का सबसे अच्छा तरीक़ा होता था दरियागंज के फुटपाथ में रविवार को लगने वाला पुस्तक बाज़ार. थोड़ी सी मसक्कत और छानबीन के बाद आपको वो किताब नजर आ ही जाती थी जिसकी... Read more
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