मकड़ू पधान की कहानी
अतीत पहाड़ों में वेगवान पवन और जलधाराओं के अतिरिक्त कुछ भी तो गतिमान नहीं है. सूरज तो उगता है पर कलियां उदास सी है. चिडियों की चह-चहाट भी कुछ कम सी हो गई है. जीवन स्तर उठा तो घिन्दूड़ियां भी... Read more
पहाड़ों में अब मौसमी गीत ही गीत हैं. बसंत बरसात और प्यारा जाड़ा तो है. जाड़ा अब उतना गुलाबी नहीं जैसे हुआ करता था. बरसात में यदा – कदा रिमझिम बरखा होती तो है ज्यादा तो फट के ही बरसती है.... Read more
शुक्र है कबीर
शुक्र है कबीर!! तुम सल्तनत युग में पैदा हुए. आज होते तो कोई नामी कटटरवादी संगठन तुम्हारी जान का प्यासा होता. यह भी हो सकता था कि तुम्हें जान से मार दिया जाता. अल्हा के फजल से तुम उस युग में... Read more
जीवन रचते व्यंग्य चित्र – 2
दुगड्डा, पौड़ी गढ़वाल में रहने वाले जागेश्वर जोशी मूलतः बाडेछीना अल्मोड़ा के हैं. वर्त्तमान में माध्यमिक शिक्षा में अध्यापन कार्य कर रहे हैं. शौकिया व्यंगचित्रकार हैं जनसत्ता, विश्वामान... Read more
Popular Posts
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल
- चप्पलों के अच्छे दिन
- छिपलाकोट अंतरयात्रा : चल उड़ जा रे पंछी
- बिरुण पंचमि जाड़ि जामलि, बसंतपंचमि कान कामलि