भारत में फैन की मूल डिजाइनिंग इस तरह की गयी है कि कांच के नन्हे गिलास के साथ उसका ज्यामितीय व्याकरण सही बैठ सके. उसे तनिक संकरे पैरेलैलोग्राम की आकृति में बनाया जाता है. प्रैक्टिकल बर्ताव की... Read more
इतनी कोफ़्त होने से आदमी कोफ्ता हो जाता है
थोथा देई उड़ाय-2 मुझे इस बात की भी कोफ़्त है खुद से, कि आज तक मेरा कलियुगी महासंस्कार नहीं हुआ. मॉडर्न वेदाज़ में जिसे ट्रोलिंग कहा गया है. हुआ तो वाइरल भी नहीं कभी, पर ज़्यादा बड़ी इच्छा तो... Read more
मैं ही मैं हूँ, मैं ही सूर्य हूँ, मैं ही मनु…
कॉलेज के दिन थे. रंगीन रुमाल मे इत्र के फाहे रखने की उम्र थी. तो दूसरी तरफ परंपरा-विद्रोह की अवस्था. साइकिल खींचना, तौहीन मानने की उम्र हो चली थी. कॉलेज जाये बिना गुजर भी नहीं थी. युक्ति और... Read more
लिखता हूँ ख़त खून से स्याही न समझना
ख़तो-किताबत -शंभू राणा क़ासिद के आते-आते ख़त एक और लिख रखूं, मैं जानता हूँ, जो वो लिखेंगे जवाब में ख़तो-किताबत के प्रति ऐसी बेताबी अब देखने में नहीं आती. ज्यादा वक्त नहीं गुज़रा जब ख़तो-किताबत आम... Read more
गुर्जी अगर सँभलोगे नहीं तो ऐसे गिर पड़ोगे – हलवाहे राम और लेक्चरार साब की नशीली दास्तान
दोनों में अटूट दोस्ती थी. कुछ ऐसी कि, लंबे समय तक इस दोस्ती ने खूब सुर्खियाँ बटोरी. दोनों के घर आस-पास ही थे. एकदम निकट पड़ोसी समझ लीजिए. उनमें से एक, पूरे गाँव-जवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिख... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 9
उजाले के कमांडो आज सुबह जरा जल्दी जग गये. जल्दी मतलब पांच बजे. इत्ता जल्दी जगने पर समझ नहीं आया तो फ़िर पलटकर सोने की कोशिश की. लेकिन जैसे चुनाव में एक के चुनाव क्षेत्र की टिकट दूसरे को मिल ज... Read more
सूरज की मिस्ड काल – 8
धूप का चौकोर टुकड़ा सुबह का समय है. कमरे के बाहर बरामदे में धूप का चौकोर टुकड़ा अससाया सा लेटा है. धूप के टुकड़े को देखते ही मन किया कि इस चतुर्भुज का क्षेत्रफ़ल निकाला जाये. लम्बाई करीब ढेड़ मीट... Read more
सिटौला और घुघुता
वैसे तो ऊपर के चित्र में दिख रही चिड़ियां कुमाऊँ में बहुतायत से पाई जाती हैं और इनके कॉटेज मैना और स्पॉटेड डव जैसे आकर्षक अंग्रेज़ी नाम भी हैं लेकिन कुमाऊनी बोली में इन दोनों को ख़ास तरीकों से... Read more
यूपी के दो दोस्तों की चिठ्ठियाँ
प्रमुख रूप से चिंता का विषय निश्चित रूप से गधा चिंतन ही है -राहुल पाण्डेय प्रिय मिरगेंदर, तुमने अपनी चिट्ठी में मुझसे जो सवाल पूछा, यकीन मानो उस सवाल ने क्या दिन और क्या रात, मुझे बेचैन... Read more
बज्जर किस्म के शिकायती भाई साहब !
भाई साहब से मेरी जान-पहचान इनके बचपन से है. जैसे किसी व्यक्ति के भीतर प्रेम, करुणा तथा दया अथवा झूठ, कपट तथा कमीनापन कूट-कूट कर भरा होता है, इनके अंदर बचपन से ही शिकायतें कूट-कूट कर भरी थी.... Read more
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