हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 52
वर्तमान में इलैकट्रानिक मीडिया के कई चैनल काम करने लगे हैं. समाचार पत्रों के प्रकाशन की भी बाढ़ सी आ गई है और यह काम आधुनिक टैक्नालॉजी के प्रवेश से आसान भी होता जा रहा है. पत्रकारिता में व्यव... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 51
यह 15 अगस्त 1978 का दिन था. एकाएक मैंने उसे अपने सामने खड़ा पाया, एक ग्राहक के रूप में. मै बैठने का आग्रह करूं, उससे पहले ही वह बोला, ‘‘अखबार छापना है’’. एक छोटा छापाखाना किसी दूसरे का अखबार... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 50
20 नवम्बर 1977 में गोपाल सिंह भंडारी ने दैनिक के रूप में ‘उत्तर उजाला’ का प्रकाशन हल्द्वानी से शुरू किया. वर्तमान में उनकी पुत्री उषा किरन भंडारी व पुत्र वधु स्नेहलता भंडारी की देख रेख में प... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 49
हैड़ाखान बाबा की मृत्यु के कुछ ही दिन बाद एक किशोर वय का बाबा हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इसका कोई पुख्ता सबूत तो नहीं था किन्तु बताया गया कि उसने एक बाबा को पहाड़ी से नीचे गिरा कर... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 48
तमाम जुड़ावों के बीच उनके साथ बाबा हैड़ाखान को लेकर मेरा मतैक्य नहीं हो सका. वे 1970 में बाबा हैड़ाखान के भक्त बन गए और कुछ ऐसी अविश्वसनीय बातों की चर्चा उनके बारे में करने लगते कि सहज में उनका... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 47
सन् 1988 में पीपुल्स कालेज के साथ ‘जेम पार्क’ यानी रत्न उद्यान की अखाड़ेबाजी कुछ समय तक चर्चा का विषय बनी रही. कहा गया कि सौभाग्य, श्रृंगार और वैभव का प्रतीक अब न केवल हल्द्वानी नगर, कुमाऊॅं... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 46
1982 में जब एनडी तिवारी हेमवती नन्दन बहुगुणा के बाद मुख्यमंत्री बने, उस समय यहां के जंगलों में भीषण आग लगी हुई थी.आग में कई लोग झुलस गये थे और दुर्घटना हुई. उ.प्र. विधानसभा में वनों की आग के... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 45
वर्तमान में हल्द्वानी नगर में बड़े अस्पतालों की संख्या गिनती से बाहर हो गई है. एक से एक काबिल डॉक्टर यहां अपने विशाल हाईटेक क्लीनिक खोल कर बैठ गए हैं. लोग कहते हैं कि जिन बीमारियों के इलाज के... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 44
सन् 1970 तक शादी-ब्याह की रस्में भी यहां ठेठ ग्रामीण परिवेश में ही हुआ करती थीं. न्योतिये प्रातः पहुँच जाते और साग सब्जी काटना, हल्दी-मसाले घोटना, टेंट कनात लगाने में सहयोग करना, आदि में जुट... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने : 43
तराई भाबर में भूमि व्यवस्था भी एक विवादास्पद विषय बनी रही है. यहाँ की जमीनों की लूट का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है. यहाँ के बीहड़ इलाके को बसाने के लिए ब्रिटिश शासन काल में यहाँ एक खाम अधिका... Read more
Popular Posts
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर