सन 1947 में हल्द्वानी-काठगोदाम नगरपालिका क्षेत्र में अधिकतम 39 मोहल्ले और 1608 मकान थे. एक हाईस्कूल, एक डाक्टर वाला नागरिक अस्पताल, बाबू मुरली मनोहर की चेयरमैनी वाली नगरपालिका का पुराना दफ्त... Read more
जब हल्द्वानी में पहली बार आई बिजली
1949-50 से पहले हल्द्वानी में सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था के लिये अधिकतर जगहों पर कैरोसिन तेल के लैम्प जलाये जाते थे. 1929-30 में हल्द्वानी शहर में प्रकाश की व्यवस्था ठेके पर चल रही थी. 1940-4... Read more
1850 तक एक भी पक्का मकान नहीं था हल्द्वानी में
दस्तावेजों में हल्द्वानी का जिक्र 1824 में मिलता है जब उस साल हैबर नाम का एक अंग्रेज पादरी बरेली से अल्मोड़ा जाते हुए यहाँ के बमौरी गाँव से हो कर गुजरा था. (Haldwani History Nineteenth Centur... Read more
पिछली कड़ी का लिंक: हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने- 68 हल्द्वानी शहर (Haldwani City) में विभिन्न सांस्कृतिक (Cutural) टोलियों के साथ बागेश्वर, सालम, जागेश्वर आदि स्थानों से पारम्परिक वा... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 68
पिछली कड़ी का लिंक: हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने- 67 हल्द्वानी का विस्मृत इतिहास (Forgotten History of Haldwani) सामाजिक समरसता का भी इतिहास रहा है. यहाँ विभिन्न समुदायों के ढेरों संग... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 67
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 67 पिछली कड़ी का लिंक: हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने- 66 यह अप्रत्याशित दुर्घटना केवल हल्द्वानी (Haldwani) के ही हिस्से आयी हो ऐसी बात तो नहीं अलब... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 66
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 66 पिछली कड़ी का लिंक: हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने- 65 हल्द्वानी (Haldwani) दूसरे अतिक्रमणकारी वे हैं जो भूमिहीन हैं, भवनहीन है और सरकार से मांग... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 65
6 सितम्बर 1989 का दिन भी हल्द्वानी में एक दुखद घटना वाला दिन रहा. दरअसल इस घटना के पीछे पुलिस के प्रति आम जनता का छिपा आक्रोश था जो पूरे कुमाऊं अंचल में छा गया पुलिस चौकियों-थानों में आगजनी,... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 64
आज उत्तराखण्ड की प्रमुख मण्डी के रूप में हल्द्वानी स्थापित है. पूर्व में यहां मण्डी का कारोबार मंगल पड़ाव, मीरा मार्ग (पियर्सनगंज), रेलवे बाजार, महावीर गंज में था. महावीरगंज को रहीम गंज कहा ज... Read more
हल्द्वानी के इतिहास के विस्मृत पन्ने: 63
साठ के दशक से पूर्व नगर में एक फकीर घूमा करता था, नाम था उसका किशना पागल. वह अपनी मर्जी से जहां चाहे चला जाता था और जब चाहे किसी के दरवाजे पर बैठ जाता उसके बारे में यह मशहूर था कि प्रातः काल... Read more
Popular Posts
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर