कका-काखी वाली मिठास अंकल-आंटी में नहीं आ सकती
भाषा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम किसी व्यक्ति के बारे में जान सकते हैं, उसे समझ सकते हैं, उससे जुड़ पाते हैं. यूँ तो दुनिया में कई भाषाएं हैं उन सभी का अपना-2 महत्व है, किंतु एक भाषा... Read more
कुछ समय पहले हमने एक ख़बर दी थी कि पौड़ी जिले के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की पहल पर पहली से पांचवीं क्लास तक के बच्चों के लिये विशेषज्ञों द्वारा गढ़वाली पाठ्यक्रम तैयार किया गया है. पौड़ी... Read more
पौड़ी के डीएम धीराज गर्ब्याल की पहल पर पांचवीं कक्षा तक गढ़वाली पाठ्यक्रम तैयार
पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की मुहिम रंग लायी और विषय विशेषज्ञों ने पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए गढ़वाली पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है. कल गढ़वाल कमिश्नरी के 50 वर्... Read more
‘उत्तराखण्ड होली के लोक रंग’ शेखर तिवारी द्वारा संपादित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है. चंद्रशेखर तिवारी काफल ट्री के नियमित सहयोगकर्ता हैं. उत्तराखण्ड की होली परम्परा (Traditional Hol... Read more
चंद्र सिंह गढ़वाली का परिवार बेदखली की कगार पर
पेशावर कांड के नायक चन्द्र सिंह गढ़वाली को वीर यूं ही नही कहा जाता. उनकी वीरता के कायल भारतीय ही नही बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के शासक और दुनिया भर के लोग भी थे. यही कारण है कि सरकार ने उनके सम... Read more
Popular Posts
- हरियाली के पर्याय चाय बागान
- हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा
- हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़
- भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़
- कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
- खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
- अनास्था : एक कहानी ऐसी भी
- जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा
- मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
- लोक देवता लोहाखाम
- बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
- अलविदा घन्ना भाई
- तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी
- जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम
- अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर
- कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
- चेरी ब्लॉसम और वसंत
- वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
- ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’