चक्की, बुढ़िया और बच्चे की कहानी
सुदूर पहाड़ी गाँव में पठाली से छाये लाल मिट्टी और गोबर से लीपे गए एक घर के कोने मे लगाई जान्द्री (चक्की) में झुरझुराती पूस की बर्फीली झुसमुसी भोर में उस घर की बूढ़ी दादी घुर्र-घुर्र गेहूं पीस... Read more
फूलदेई से पहले खिलते हैं प्योंली के फूल
आसमान को छेदती, नुकीली ऊँची-ऊँची बर्फीली चोटियों की तलहटी में देवदार,भोज और रिंगाल के हरे-भरे सघन जंगलों के बीच एक गहरे अनछुये उड्यार (गुफा) में कच्ची हल्दी के साथ गुलाबी बुरांस-सी रंगत वाली... Read more
गंगू रमौल और सेम मुखेम के नागराजा श्रीकृष्ण
गढ़वाल की प्रचलित लोकगाथाओं के अनुसार गंगू रमौल टिहरी जनपद में स्थित सेम-मुखीम क्षेत्र के मौल्यागढ़ (रमोलगढ़) का रहनेवाला एक नागवंशी सामंत था. इसका सम्बन्ध भगवान् श्रीकृष्ण से जोड़ा जाता है जिसक... Read more
लगातार छह दिनों तक एक हजार किलोमीटर से कुछ ज्यादा का सफर ड्राइवर के बगल में बैठने के बाद एक बात अनजाने ही समझ में आयी कि जब हम गाड़ी में होते हैं तो पैदल चलने वाले लोग निहायत ही बेवकूफ जान प... Read more
खाल का अर्थ अलग-अलग है कुमाऊं और गढ़वाल में
गढ़वाली बोली बोले जाने वाले इलाकों में ‘खाल’ शब्द का सम्बन्ध पहाड़ की चोटी के नज़दीक स्थित उस गहरे और समतल भूभाग से होता है जहां से पहाड़ के दोनों तरफ के भूभाग देखे जा सकते हैं. कुमा... Read more
तीलू रौतेली की दास्तान: जन्मदिन विशेष
मध्यकाल में गढ़वाल के पूर्वी सीमान्त के गांवों पर कुमाऊं की पश्चिमी उपत्यकाओं पर बसे कैंतुरा (कत्यूरा) लोग निरंतर छापा मार कर लूटपाट करते रहते थे. अनुमान किया जाता है कि उस काल में गढ़राज्य... Read more
जोगी और गौरा की कथा
दिन भर रुक रुक कर बारिश और उसके साथ बर्फ पड़ती रही.माँ और दादी नंगे पैर पनदेरे से गागर में पानी सारते रहे.पूरे घर के लिए और गाय बाछी के लिए. दोनों के पैर ठंडी से नीले हो गए. दादा जी ने ओबरे म... Read more
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