लोककथा : धौन पानी का भूत
धौन पानी क्षेत्र के एक गांव में तीन लोग रहते थे — सास, ससुर और बहू. सास और ससुर बहु के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया करते थे. इस गांव में पीने के पानी की बहुत किल्लत थी. इस वजह से पानी लाने के... Read more
पार्वती की ख़ुशी है फुल्यारी की संग्रांद
हे! बीरा फूफू, हे! बीरा फूफू, हे! बैरी (बहरी,) हे! सुनती है कि नहीं, मैं अपनी छज्जा के किनारे तब तक धै (आवाज) लगाती रही, जब तक ऊपर वाले खोले से ऊऊऊ नहीं सुनाई दिया. झट यहाँ आ बहुत जरूरी काम... Read more
पार्वती-महादेव और निठल्ले इंसानों की कथा
दादी तू ये बता कि शिवजी भगबान ओ दूर बरफ़ वाले पहाड़ में क्यों रहते हैं.उनके पास हमारे जैसा घर क्यों नहीं है. तू तो कहती है भगवान सब कुछ कर देता है. सबको शिवजी ही देते हैं. अपने लिए तो उसने एक... Read more
लौंडे-लबारों की बरात में सयाने बूढ़े की होशियारी
छी भै ये बूढ़े लोग भी न, बहुत तंग कर देते हैं. जब कुछ काम नहीं कर सकते तो आराम से खाएं, पियें एक जगह में बैठे रहें. जब देखो सारे घर में घूम घूम के ये करो, वो करो, ऐसे करो, वैसे करो. इस काम को... Read more
रामी बुढ़िया ( लोककथा )
एक गांव में रामी नाम की बुढिया रहती थी, उसकी बेटी का विवाह दूर एक गांव में हुआ था जहाँ जाने के लिये घना जंगल पार करना पड़ता था. रामी का बहुत मन हो रहा था कि वह अपनी बिटिया से मिल कर आये. (Fol... Read more
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