न्यौली चिड़िया से जुड़ी कुमाऊनी लोककथा
पहाड़ की बाखलियों के आस-पास इन दिनों न्यौली चिड़िया का बोलना खूब सुनाई देना शुरु हो गया. उदासी, करुणा और विरह जैसे शब्दों का पर्याय है न्यौली की आवाज. न्यौली, अक्सर अकेले चलने वाली एक ऐसी चि... Read more
पहाड़ की कहानियां जो पिछली सदी में बैगा हुड़किया ने सुनाई थी पादरी ई एस ओकले और तारा दत्त गैरोला को : एक समय की बात है कि लखीमपुर नामक स्थान में काला भंडारी नाम का व्यक्ति रहता था, उसके पिता... Read more
भै भुको, मैं सिती : भिटौली से जुड़ी लोककथा
उत्तराखण्ड में चैत (चैत्र) का महीना लग गया है. कुमाऊं में चैत के महीने में विवाहित बहनों व बेटियों को भिटौली देने की विशिष्ट सांस्कृतिक परम्परा है. चैत के पहले दिन बच्चे फूलदेई का त्यौहार मन... Read more
लंबी दाढ़ी वाला काज़ी (मराठी लोक कथा)
एक काज़ी साहब दिए की रोशनी में कोई पुरानी किताब पढ़ रहे थे. उसमें उन्होंने एक जगह पढ़ा “लंबी दाढ़ी वाले अक्सर बेवकूफ होते हैं” काज़ी साहब को बड़ी ख्वाहिश थी कि लोग उनकी अक्लमंदी का लोह... Read more
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