पहाड़ और मेरा जीवन – 53 ( Sundar Chand Thakur Memoir) (पिछली क़िस्त: मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, परिस्थितियां उसकी गुलाम हैं) ग्यारहवीं कक्षा की डायरी हाथ आने के बाद बहुत कुछ तो उसमें म... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 52 ( Sundar Chand Thakur Memoir) (पिछली क़िस्त: इस विपुला पृथिवी को मैं जानता ही कितना हूं) शीर्षक में इस्तेमाल की गई उपरोक्त पंक्ति ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के दिनों... Read more
इस विपुला पृथिवी को मैं जानता ही कितना हूं
पहाड़ और मेरा जीवन – 51 (Sundar Chand Thakur Memoir) (पिछली क़िस्त: वह पहाड़ों की सर्दियों का एक जरा-सा धूप का टुकड़ा) मुझे मरण की चाह नहीं है सुंदर जग में, चाह रहा हूं मैं भी जीना मानव समुद... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 50 (पिछली क़िस्त: दसवीं बोर्ड परीक्षा में जब मैंने रात भर जागकर पढ़ा सामाजिक विज्ञान ) मुझे मुंबई में रहते हुए दस साल होने वाले हैं. यहां की कभी-कभी भयानक रूप ले लेने वा... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन -49 (पिछली क़िस्त: ये रहा मेरे हाथ लगी ग्यारहवीं की डायरी का पहला पन्ना) कक्षा पांच में कक्षा में तीसरे नंबर पर आ जाने के बाद से पढ़ाई को लेकर मुझमें जो जुनून पैदा हो गया... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 48 (पिछली क़िस्त: पुराने दोस्त पुरानी शराब से ज्यादा जायकेदार होते हैं) पुरानी चीजें सहेजकर रखना मुझे मुश्किल काम लगता है क्योंकि अव्वल तो पुरानी चीजें खुद ही खराब हो जा... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 47 (पिछली क़िस्त: और मैं बन गया एनसीसी गणतंत्र दिवस कैंप में ऑल इंडिया कमांडर ) पिछले दिनों बेटी को आगे की पढ़ाई के लिए छोड़ने अमेरिका गया. एक समय था जब अमेरिका जाने की... Read more
पहाड़ और मेरा जीवन – 46 (पिछली क़िस्त: मुझे जिंदा पाकर मां ने जब मुझ पर की थप्पड़ों की बरसात) एनसीसी से अपने संबंध के बारे में मैं बता ही चुका हूं. मैंने एनसीसी के कुल सात कैंप अटैंड किए. तीन... Read more
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