जन्मदिन पर गिर्दा की याद
गिर्दा एक खूबसूरत आदमी थे. उम्दा कोनों, सतहों, गहराइयों-उठानों वाला तराशा हुआ गंभीर चेहरा और आलीशान जुल्फें. और बात करने का ऐसा अंदाज कि जैसे खुद मीर तकी मीर कह रहे हों: (Remembering Girda t... Read more
दाड़िम के फूल – इस कहानी की एक कहानी है
मेरी कहानी ‘दाड़िम के फूल’ की भी एक मजेदार कहानी है. आनंद तब आए जब इससे पहले मेरे दोस्त बटरोही की कहानी ‘बुरांश का फूल’ पाठकों को पठने को मिले. तब यानी सन् 60 के दशक में हम नैनीताल के डीएसबी... Read more
उस दिन शिकार पर गया मैं पछेटिया बन कर
एक दिन मुझे पछेटिया बन कर सचमुच शिकार पर जाने का मौका मिल गया. पछेटिया मतलब शिकारी के पीछे-पीछे चलने वाला आदमी. शिकारी थे नयाल मास्साब, जिन्हें शिकार मारने का बेहद शौक था. शिकार तो बस नाम भर... Read more
अल्मोड़े वाली आमां और उनका फिल्मी स्यापा
अल्मोड़े में होलिडे होम मुख्य सड़क मार्ग से थोड़ा उपर है. कैलाश मानसरोवर यात्रा के यात्रियों का पहला पड़ाव इसी हालिडे होम में बनता है. साल भर खामोश रहने वाले हालिडे होम में यात्रा सीजन में ख... Read more
भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया
पहाड़ और मेरा जीवन – 39 (पिछली कड़ी: जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित हुई) जीआईसी पिथौरागढ़ में कक्षा नौ में पढ़ना शुरू हुआ, तो यह बहुत धीरे-धीरे था कि... Read more
गणेश मर्तोलिया ने लोकसंगीत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बेहद विनम्र स्वभाव के गणेश हर समय पुरानी लोकधुनों की खोज में रहते हैं. उनके एक गीत पर हमने कुछ माह पहले एक पोस्ट भी लगाई... Read more
अल्मोड़े का हॉलिडे होम और उसके निम्मी और कोहली
अल्मोड़ा में सबसे पहला प्रवास श्री गोपाल सिंह बिष्ट एवं श्री प्रशांत बिष्ट के सौजन्य से कुमाऊं मंडल विकास निगम के हाॅलिडे होम में हुआ. यह बहुत संक्षिप्त प्रवास था. अल्मोड़ा में जहां कुमाऊं म... Read more
ओ ईजा! ओ मां! – पहाड़ की एक भीगी याद
बचपन से आज तक ईजा (मां) को कभी नहीं भूला. वह 1956 में विदा हो गई थी, जब मैं छठी कक्षा में पढ़ रहा था और ग्यारह साल का था. वह मेरी यादों में सदैव जीवित है. जब भी कठिन समय आया तो मुझे लगा मां म... Read more
कल फिर आएंगे अंकल जी
अंकल और मैं बैठे धूप खा रहे हैं. अंकल, यानी मेरे पिता के बड़े भाई और परिवार के सबसे मूर्ख सदस्य. कुछ लोग चुप रहना जानते हैं, पर अंकल नहीं. अंकल अपनी मूर्खता के जग-प्रदर्शन में विश्वास करते है... Read more
हल्द्वानी के कर्नल ठुस्सू और उनकी दी हुई सीख
कर्नल ठुस्सू कर्नल ठुस्सू – इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता. सिवाय इनके हास्यास्पद नाम, पदनाम, पैनी नज़र और हिंदी बोलने के ढंग के, जो किसी भी गैर-हिन्दी भाषी व्यक्ति का हो सकता है. ज्... Read more
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