साहित्य अकादेमी सम्मान से पुरुस्कृत विख्यात हिन्दी कवि वीरेन डंगवाल की स्मृति में बरेली में एक स्मारक का लोकार्पण आज किया गया. हिन्दी के जाने-माने उपन्यासकार-कहानीकार लक्ष्मण सिह बिष्ट ‘बटरो... Read more
पितृपक्ष: वीरेन डंगवाल की कविता
पितृपक्ष -वीरेन डंगवालमैं आके नहीं बैठूंगा कौवा बनकर तुम्हारे छज्जे परपूड़ी और मीठे कद्दू की सब्ज़ी के लालच मेंटेरूँगा नहीं तुम्हेंन कुत्ता बनकर आऊँगा तुम्हारे द्वाररास्ते की ठिठकी हुई गायक... Read more
रह गई है अभी कहने से सबसे ज़रूरी बात
कुछ कद्दू चमकाए मैंनेकुछ रास्तों को गुलज़ार कियाकुछ कविता-टविता लिख दीं तोहफ़्ते भर ख़ुद को प्यार किया अब हुई रात अपना ही दिल सीने में भींचे बैठा हूँहाँ जीं हाँ वही कनफटा हूँ, हेठा हूँटेलीफ़... Read more
पन्द्रह अगस्त - वीरेन डंगवाल सुबह नींद खुलती तो कलेजा मुंह के भीतर फड़क रहा होता ख़ुशी के मारे स्कूल भागता झंडा खुलता ठीक ७:४५ पर, फूल झड़ते जन-गण-मन भर सीना तना रहता कबूतर की मानिन्द बड़े ल... Read more
मोबाइल पर उस लड़की की सुबह
मोबाइल पर उस लड़की की सुबह-वीरेन डंगवाल सुबह-सवेरेमुँह भी मैलाफिर भी बोलेचली जा रहीवह लड़की मोबाइल पररह-रहचिहुँक-चिहुँक जाती हैकुछ नई-नई-सी विद्या पढ़ने कोदूर शहर से आकर रहने वालीलड़कियों के... Read more
एथलेटिक्स में भारत को पहली बार विश्वस्तरीय ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय पी टी ऊषा को जाता है. ओलिम्पिक्स और विश्व एथलेटिक्स मीट जैसे आयोजनों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश के युवाओं को खेलों क... Read more
महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण छायावादी आन्दोलन के चार बड़े नामों में से एक थीं. इस समूह में उनके अलावा जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पन्त और महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ थे... Read more
अगर समझ सको तो, महोदय पत्रकार!
पत्रकार महोदय – वीरेन डंगवाल ‘इतने मरे’ यह थी सबसे आम, सबसे ख़ास ख़बर छापी भी जाती थी सबसे चाव से जितना खू़न सोखता था उतना ही भारी होता था अख़बार. अब सम्पादक चूंकि था प्रका... Read more
भोंदू जी की सर्दियाँ
भोंदू जी की सर्दियाँ – वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) आ गई हरी सब्जियों की बहार पराठे मूली के, मिर्च, नीबू का अचार मुलायम आवाज में गाने लगे मुंह-अंधेरे कउए सुबह का राग शीतल कठोर धूल और ओ... Read more
धरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधे
वीरेन डंगवाल (Viren Dangwal) के बारे में मशहूर कवि/सम्पादक/आलोचक विष्णु खरे ने लिखा था: “लेकिन इससे बड़ी ग़लती कोई नहीं हो सकती कि हम वीरेन डंगवाल को सिर्फ कवियों, कलाकारों और मित्रों का... Read more
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