‘कुमाऊं केसरी’ बद्रीदत्त पाण्डे का जन्मदिन है आज
लगभग चालीस सालों से चले आ रहे अल्मोड़ा अखबार ने 1913 के बाद ही धार पकड़ी. अल्मोड़ा अख़बार ने जब तक स्थानीय मुद्दों पर अपनी यह धार दिखाई तब तक प्रशासन चुप रहा. लेकिन बद्रीदत्त पाण्डे के सम्पा... Read more
ई. शर्मन ओकले ने अपनी किताब ‘होली हिमालयाज’ में लिखा है कि चंद राजाओं के समय राजा ने आत्मरक्षा के लिये जो नियम बनाये वह रूस के जार के नियमों से भी कठोर थे. दरसल ओकले जिन नियमों क... Read more
चंद शासकों ने अपनी खस प्रजा को नियंत्रित करने हेतु हिमांचल से योद्धा बुलाये थे. हिमांचल से बुलाये इन योद्धाओं को चंद शासकों ने अपनी सेना में सैनिक और ऊंचे पदों पर रखा. कुमाऊं में कांगड़ा और अ... Read more
अल्मोड़े में अपनी राजगद्दी छिनने के बाद चंद राजा मोहनचंद मदद के लिये जगह-जगह भटक रहा था. उसे गुजर के लिये 10 रुपये रोज के मिल रहे थे जिसमें उसकी गुजर कहां होनी थी. मोहन चंद मदद के लिये रामपुर... Read more
एक फायर के तीन शिकार कुली, मुर्गी और ‘अल्मोड़ा अख़बार’ यह टिप्पणी गढ़वाल समाचार पत्र की है. गढ़वाल समाचार पत्र ने यह टिप्पणी तब की थी जब ब्रिटिश सरकार ने अल्मोड़ा अखबार को बंद करवा दि... Read more
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