ज़रा सोचें सच की तस्वीरों को आईने में हम उतारने चलें और तस्वीरें ही बोलने लगें, तो कैसा महसूस होगा हमें? चौंकेंगे? धक्का लगेगा? बिल्कुल लगेगा क्योंकि हमें बोलती तस्वीरों की और आंखों में झाँक... Read more
अनुराग कश्यप चलती का नाम गाड़ी हो चुके हैं. सितारेदार प्री-पेड रिव्यूज का पहाड़ लग चुका है. वे अब आराम से किसी भी दिशा में हाथ उठाकर कह सकते हैं- इतने सारे लोग बेवकूफ हैं क्या? फिर भी इतना क... Read more
अमूमन कहानियां तीन तरह से कही जाती हैं. पहला तरीका, सत्य घटनाओं का अपनी दृष्टि के मद्देनजर सीधा सच्चा बयान. दूसरा, आद्यांत कपोल कल्पना. तीसरा, सत्य घटनाओं से कुछ हिस्से उठाकर उसे समाजपयोग के... Read more
भारतीय सिनेमा को बदलता एक मराठी निर्देशक
‘सैराट’ (मुक्त) क्षेत्रीय भाषा में रचा गया भारतीय सिनेमा का महाख्यान है. ‘सैराट’ बोन्साई होती जा रही मानवीय संवेदना की जड़ों को गमलों से उखाड़ कर गीली ज़मीन में रोपने... Read more
Popular Posts
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा