उम्मीद-भरी प्रतीक्षा के बाद निराशा की जो अथाह थकान होती है, उसी को लेकर टूटी डाल की मानिंद-थकी-माँदी काकी लौट गई थीं. उनका जाना निश्चित था. हम कोशिश करते तब भी वे रुकनेवाली नहीं थीं. किसी ने... Read more
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