तिवारीजी का झुनझुना बजाने में मस्त हैं आंदोलनकारी
आज एक बुजुर्ग से मुलाकात हुई तो उनके बाजार में आने का कारण यूं ही बस पूछ बैठा. इस पर उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई कि सारे दस्तावेज दे दिए लेकिन फिर भी बार-बार कह देते हैं कि ये लाओ, वो लाओ. राज... Read more
द्वाली में फसे पर्यटकों का रेस्क्यू अभियान
पिंडर घाटी के द्वाली में फसे 42 देशी और विदेशी पर्यटकों को रेस्क्यू कर लिया गया है. लगभग 15 बंगाली पर्यटकों को पांच टैक्सियों के जरिए कपकोट लाया गया. जहां उनके नाम, पता आदि की जानकारी जुटाने... Read more
बागेश्वर के मोहन जोशी की बांसुरी का सफ़र
बचपन में यदा-कदा बुड़-माकोट (पिताजी के ननिहाल) जाना होता था. वहां बगल के पाथरनुमा दोमंजिले घर की खिड़की पर रिश्ते के छोटे चाचा बांसुरी बजाते दिखाई देते. उन्हें सुनता तो मैं हैरत में पड़ जाता... Read more
नामिक गांव के शिक्षक भगवान सिंह जैमियाल
क़रीब साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित नामिक ग्लेशियर से निकलने वाली जलधारा अपने साथ कई और धाराओं को समेट जब नामिक-कीमू गांव के पाँव पखारते हुए आगे बढ़ती है तो जैसे पल-पल अपनी सामर्थ्य... Read more
पौधों से एक बुजुर्ग का अजब प्रेम
महानगरों के साथ ही अब तो पहाड़ों में भी जमीन गायब हो मकान ही मकान बनने लगे हैं. बहरहाल अब ये कोई नई बात नहीं है, हर कोई यह सब जानता ही है. पहाड़ों में तो खेती बंजर होती चली जा रही है. खेती क... Read more
साठ के दशक में हिमालय अंचल की यात्रा से जुड़ी यादें
चितरंजन दासजी ने उत्तराखंड के हिमालयी तीर्थों की अपनी यायावरी यात्रा को अपनी किताब ‘शिलातीर्थ’ में बहुत ही सजीव और अद्भुत ढंग से सजोया है. 1959 में केदारनाथ और बद्रीनाथ की पैदल य... Read more
रहस्यमयी रूपकुंड से जुड़ी कहानियां
रूपकुंड यहां से करीब तीन किलोमीटर दूर है. लेकिन उंचाई ज्यादा होने से रास्ता बहुत लंबा और थकान भरा महसूस होता है. रूपकुंड पहुंचने तक आठ बज चुके थे. मौसम की बेरुखी के कारण इस बार रूपकुंड में झ... Read more
आज बगुवावासा में पड़ाव था. रूपकुंड की तलहटी पर ठंडा पड़ाव है बगुवावासा. अविनखरक से सात किलोमीटर पर है पाथर नचौनियां और वहां से साढ़े चार किलोमीटर की दूरी पर है बगुवावासा. रकसेक कंधों पर डाल... Read more
सुबह नाश्ते के बाद अगले पड़ाव के लिए सभी ने अपने रकसैक कंधों पर डाल लिए. दिन के खाने के लिए उबले हुए चटपटे चनों के साथ दो अंडे मिल गए. गांव की पगडंडियों के पार आगे रास्ता हमें धीरे-धीरे ऊंचा... Read more
रूपकुंड यात्रा के शुरुआती दिन
चमोली जिले में एतिहासिक धार्मिक राजजात यात्रा का एक पड़ाव है लोहाजंग. नौटी से शुरू होने वाली यह पदयात्रा करीब 280 किलोमीटर चलकर सेम, कोटी, भगौती, कुलसारी, चैपडों, लोहाजंग, वाण, बेदिनी, पातर... Read more
Popular Posts
- कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
- खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
- अनास्था : एक कहानी ऐसी भी
- जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा
- मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
- लोक देवता लोहाखाम
- बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
- अलविदा घन्ना भाई
- तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी
- जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम
- अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर
- कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
- चेरी ब्लॉसम और वसंत
- वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
- ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क