अल्मोड़ा के नंदा देवी मंदिर में ताला लगा
कुमाऊं-गढ़वाल में नंदादेवी को कुलदेवी का दर्जा हासिल है. इस हिमालयी देवी के सबसे पुराने मंदिरों में अल्मोड़ा के ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर का नाम सबसे ऊपर आता है. (Nandadevi Temple Almora Dispute... Read more
एक अल्मोड़िया शगल ऐसा भी
अमूमन हर आदमी को कोई न कोई शौक-शगल-खब्त-आदत-लत होती है. फेहरिश्त काफी लंबी हो सकती है. इसमें कचहरी जाना भी शामिल है. बड़ी ही जानदार लत है. तंबाकू जैसी असरदार. कब गिरफ्त में ले लेती है, पता न... Read more
जनकवि गिर्दा को उनकी पुण्य तिथि पर याद किया
गीत और झोडे़ गाकर दी श्रद्धांजलि अल्मोड़ा. रिमझिम बारिश की फुहारों के साथ जब स्वागत की छत माल रोड-अल्मोड़ा में गिर्दा के गीत गाए तो सड़क पर छाते लिए लोग रुक कर वीडियो बनाने लगे. कामगार अपनी... Read more
बिशनी देवी साह – स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान जेल जाने वाली उत्तराखंड की पहली महिला
अंग्रेजों की दासता से पीड़ित भारतीय जनता ने आखिरकार 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का झण्डा बुलन्द कर ही दिया. इस बगावत की चिंगारी धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गई. जिसका प्रभाव देश के सुदूर... Read more
वर्ष 1930. नैनीताल में विमला देवी, जानकी देवी साह, शकुन्तला देवी (मूसी), भागीरथी देवी, पद्मा देवी जोशी तथा सावित्री देवी स्वाधीनता आन्दोलन में बहुत सक्रिय थीं. यही साल था जब विमला देवी ने ‘ब... Read more
ताड़ीखेत की आबोहवा के मुरीद थे महात्मा गाँधी
ताड़ीखेत के नयनाभिराम प्राकृतिक सौन्दर्य और शीतल, स्वास्थ्यवर्धक वातावरण से महात्मा गाँधी बहुत मोहित हुए. ताड़ीखेत की तारीफ में 11 जुलाई, 1929 को ‘यंग इण्डिया’ में एक लेख लिखा. लेख में उन्हो... Read more
इन दिनों भारत सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली बहु-प्रतीक्षित कैलाश- मानसरोवर यात्रा चल रही है. दिल्ली से शुरू होने वाली इस मुश्किल यात्रा में सीमित संख्या में यात्रियों का चयन किया जाता है... Read more
चम्पावत के तत्कालीन राजा दीप चंद के दीवान थे हर्ष देव जोशी. एक किंगमेकर, कूटनीतिज्ञ, प्रशासक, सैन्य अधिकारी और अतीव चतुर हर्ष देव जोशी के बारे में एटकिंसन के गजेटियर में अनेक दिलचस्प बातें प... Read more
‘जय हिंद’ का नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस या किसी अन्य ने नहीं बल्कि अल्मोड़ा (उत्तराखंड) के जैंती निवासी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सिंह धौनी जी ने नेता जी से भी काफी पहले... Read more
अल्मोड़ा में लंबी कविता और पूरन पोली की मौज
रात की पार्टी समाप्त होने के बाद अगले दिन मुहल्ले के हर कायाधारी के चेहरे पर अजीब सी खुशी के साथ एकदम साफ न दिखने वाली झेंप भी थी. रात के नाच गाने में थोडे़ बहुत आपसी विवाद, हाॅलिडे होम की ख... Read more
Popular Posts
- हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा
- हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़
- भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़
- कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता
- खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार
- अनास्था : एक कहानी ऐसी भी
- जंगली बेर वाली लड़की ‘शायद’ पुष्पा
- मुसीबतों के सर कुचल, बढ़ेंगे एक साथ हम
- लोक देवता लोहाखाम
- बसंत में ‘तीन’ पर एक दृष्टि
- अलविदा घन्ना भाई
- तख़्ते : उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की कहानी
- जीवन और मृत्यु के बीच की अनिश्चितता को गीत गा कर जीत जाने वाले जीवट को सलाम
- अर्थ तंत्र -विषमताओं से परिपक्वता के रास्तों पर
- कुमाऊँ के टाइगर : बलवन्त सिंह चुफाल
- चेरी ब्लॉसम और वसंत
- वैश्वीकरण के युग में अस्तित्व खोते पश्चिमी रामगंगा घाटी के परम्परागत आभूषण
- ऐपण बनाकर लोक संस्कृति को जीवित किया
- हमारे कारवां का मंजिलों को इंतज़ार है : हिमांक और क्वथनांक के बीच
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा