एआई को चौथी औद्योगिक क्रान्ति कहा जाना
‘बेथ शैलोम’ संस्था की संस्थापक मरीना स्मिथ की पिछले बरस यानी दो हज़ार बाईस के जून महीने में मृत्यु हो गयी. मरीना स्मिथ पिछले कई बरसों से होलोकॉस्ट में ज़िंदा बच गए लोगों के साथ काम करती रही... Read more
अगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यही
सुना करते थे वह बाग़ पुरफ़िज़ा है यहीअगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यही हम वक्त के उस दौर में हैं जब समय को बेधने की हमारी कुव्वत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. ये टूट–फूट दुतरफा है.... Read more
हैं बिखरे रंग माज़ी के
उस तरफ विपुल की आवाज़ थी. इस तरफ फोन के जाने कौन था. तब तक, जब तक मैं नहीं था! विपुल ने भी लगभग चार साल बाद ही फोन किया था. पहली कुछ लाइनों में तकल्लुफ़ था. हाल-चाल था. अभी वाला परिवार था, ज... Read more
लपूझन्ना जादू है!
किताब उठाते ही लगता है किसी जादूगर ने काले लंबे हैट में हाथ डालकर एक कबूतर निकाल दिया हो. किताब पढ़कर आप ख़त्म नहीं कर पाते. कबूतर के पंख हाथ में फड़फड़ाते हैं. किताब के सफ़हे दिलो-दिमाग पर... Read more
हलाल और झटका का झगड़ा इस तरह निपटाया नेताजी ने आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों के बीच
उनकी उम्र के बारे में ठीक-ठीक कुछ कहना मुश्किल है. गाँव के खांटी किसान. कद-काठी-काया ऐसी कि इस तरफ से देखो तो बमुश्किल पैंतालीस पचास के और उस तरफ से सत्तर के कम के तो क्या रहे होंगे. उन्होंन... Read more
ललित मोहन रयाल का नया उपन्यास ‘चाकरी चतुरंग’
व्यावहारिक- सामाजिक सन्दर्भों में ‘व्यवस्था’ का दृश्य-अदृश्य जितना व्यापक प्रभाव है साहित्यिक-सामाजिक विमर्श में ये उतना ही सामान्यीकृत पद है. इसे लेकर विवेचन के सन्दर्भ बहुत संक... Read more
वकील साहब आज भी कोई दलील नहीं सुनते!
‘आज फिर उधार करना पड़ा बेटा’… उनकी आवाज़ में कुछ बूँदें थीं. फोन पर एक घरघराहट थी जो निस्संदेह फोन की नहीं थी.वकील साहब फोन पर कम ही बात करते थे. (Story by Amit Srivastava)... Read more
कहानी : बयान इक़बालिया
‘इसे क्या हुआ है इतना गुमसुम क्यों है’ चौकी इंचार्ज साहब ने दस मिनट बाद ही पूछ लिया. (Bayan Iqbaliya) ‘सर जबसे चीला बैराज से लौटा है… दो घण्टे से ऐसे ही बैठा है.... Read more
कोई ज़िंदा है…? इन तीन शब्दों का नाद बहुत देर तक ज़ेहन में होता है… होना चाहिए भी क्योंकि ये तीन शब्द आपके ज़िंदा होने की तस्दीक के लिए ही कहे गए हैं. ओ टी टी के इस रहस्य–र... Read more
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में. आँखों में देखकर बातें नहीं कर रहा था वो. सामने मेज पर पर एल आई सी का टेबल कैलेण्डर था. उसकी तरफ शायद जून था. जून का एक चित्र था. चित्र में एक परिवार था.... Read more
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