तुम मेरे इस जनम का अंतिम प्रेम हो
अंतिम प्रेम -चंद्रकांत देवताले हर कुछ कभी न कभी सुन्दर हो जाता हैबसन्त और हमारे बीच अब बेमाप फासला हैतुम पतझड़ के उस पेड़ की तरह सुन्दर होजो बिना पछतावे केपत्तियों को विदा कर चुका हैथकी हुई... Read more
थोड़ा अधिक आदमी होकर देखेंगे तो
चन्द्रकान्त देवताले 7 नवंबर 1936 को जौलखेड़ा, बैतूल (मध्य प्रदेश) में जन्मे चन्द्रकांत देवताले समकालीन हिन्दी कविता के सबसे बड़े हस्ताक्षरों में से थे. उन्होंने अपने कार्य के लिए साहित... Read more
माँ पर नहीं लिख सकता कविता
चन्द्रकान्त देवताले 7 नवंबर 1936 को जौलखेड़ा, बैतूल (मध्य प्रदेश) में जन्मे चन्द्रकांत देवताले समकालीन हिन्दी कविता के सबसे बड़े हस्ताक्षरों में से थे. उन्होंने अपने कार्य के लिए साहित... Read more
ऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिए
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
जब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहल
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
जिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतर
हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ – 4 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी उसमें हरीश चन्द्र पाण्डे का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. समकालीन हिन्दी कव... Read more
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