तुम होगे साधारण ये तो पैदाइशी प्रधान हैं
इन्हें प्रणाम करो ये बड़े महान हैंदंत-कथाओं के उद्गम का पानी रखते हैंपूंजीवादी तन में मन भूदानी रखते हैंइनके जितने भी घर थे सभी आज दुकान हैंइन्हें प्रणाम करो ये बड़े महान हैं उद्घाटन में दिन... Read more
कब तक बैठी रहोगी इस तरह अनमनी, चलो घूम आएँ
चलो घूम आएँ - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना उठो, कब तक बैठी रहोगीइस तरह अनमनीचलो घूम आएँ.तुम अपनी बरसाती डाल लोमैं छाता खोल लेता हूँबादल –वह तो भीतर बरस रहे हैंझीसियाँ पड़नी शुरु हो गई हैंजब झमाझम... Read more
हमारी हिंदी-रघुवीर सहायहमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी हैबहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवालीगहने गढ़ाते जाओसर पर चढ़ाते जाओवह मुटाती जाएपसीने से गंधाती जाए घर का माल मैके पहुँचाती जा... Read more
पितृपक्ष: वीरेन डंगवाल की कविता
पितृपक्ष -वीरेन डंगवालमैं आके नहीं बैठूंगा कौवा बनकर तुम्हारे छज्जे परपूड़ी और मीठे कद्दू की सब्ज़ी के लालच मेंटेरूँगा नहीं तुम्हेंन कुत्ता बनकर आऊँगा तुम्हारे द्वाररास्ते की ठिठकी हुई गायक... Read more
सबकी ज़रूरत का नमक वह अकेला ही क्यों ढोए
समुद्र पर हो रही है बारिश –नरेश सक्सेना क्या करे समुद्रक्या करे इतने सारे नमक का कितनी नदियाँ आईं और कहाँ खो गईंक्या पताकितनी भाप बनाकर उड़ा दींइसका भी कोई हिसाब उसके पास नहींफिर भी सं... Read more
रह गई है अभी कहने से सबसे ज़रूरी बात
कुछ कद्दू चमकाए मैंनेकुछ रास्तों को गुलज़ार कियाकुछ कविता-टविता लिख दीं तोहफ़्ते भर ख़ुद को प्यार किया अब हुई रात अपना ही दिल सीने में भींचे बैठा हूँहाँ जीं हाँ वही कनफटा हूँ, हेठा हूँटेलीफ़... Read more
कितना आसान है हत्या को आत्महत्या कहना
किसान और आत्महत्या -हरीश चन्द्र पाण्डे उन्हें धर्मगुरुओं ने बताया था प्रवचनों मेंआत्महत्या करने वाला सीधे नर्क जाता हैतब भी उन्होंने आत्महत्या की क्या नर्क से भी बदतर हो गई थी उनकी खेती वे क... Read more
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा
अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना देखो मैंने कंधे चौड़े कर लिये हैं मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं और ढलान पर एड़ियाँ जमाकर खड़ा होना मैंने सीख लिया है. घबराओ मत मैं क्ष... Read more
पूरा अपना ही है देहरादून : राजेश सकलानी की कविता
देहरादून निवासी युवा कवि राजेश सकलानी के पिछले कविता संग्रह पुश्तों का बयान का में कवि और उसकी कविता के बारे में हिन्दी के वरिष्ठ कवि और टिप्पणीकार असद ज़ैदी का कहना है: राजेश सकलानी की कविता... Read more
प्रेम कविता में दरवाजा - हेमंत कुकरेती उसने तय किया भूख मिट जाएवह प्रेम की कविता लिखेगाजिसमें प्रेम नामक शब्द कहीं नहीं होगाअद्भुत प्रेम कविता होगी वह इसके लिए नफ़रत और युद्ध युद्ध और व... Read more
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