एक चमत्कारी पौधा सिसूण, कनाली उर्फ़ बिच्छू घास
मेरे बचपन की सुनहरी यादों में से कई गर्मियों के सालाना प्रवास से जुड़ी हैं. उन दिनों सभी प्रवासियों के लिए गर्मियों की छुट्टियों में अपने परिवार को गाँव भेजा जाना जरूरी हुआ करता था. पुश्तैनी... Read more
स्वाद और सेहत का संगम है गहत की दाल
पहाड़ के खाने में शरीर की जरूरत के लिए पर्याप्त ऊर्जा और पोषण के साथ-साथ मौसम का भी विशेष ध्यान रखा गया है. अपने अनुभव से हमारे पूर्वजों द्वारा गर्मियों के लिए तय किया गया भोजन ठंडी तासीर वाल... Read more
अक्सर हमें अपने बड़े-बूढ़ों से सुनने को मिलता है कि एक ज़माने में सैनिकों या किसी अन्य वजह से घर से मीलों दूर रह रहे प्रवासियों के परिवारजन उनकी अनुपस्थिति में ही उनका विवाह कर दुल्हन घर ले आया... Read more
दिनेश लाल – उत्तराखण्ड के लोकजीवन को तराशता कलाकार
शौक के लिए आपका जूनून आपकी कई तरह की समस्याओं का समाधान ला सकता है, कुछ ऐसी ही कहानी है दिनेश लाल की. 1980 में ग्राम सभा जेलम, पोस्ट खंडोगी, टिहरी गढ़वाल के मूर्ति मिस्त्री के घर में पैदा हुए... Read more
आज भी बरकरार है बौराणी मेले की रंगत
उत्तराखण्ड को अगर पर्वों, उत्सवों और मेलों की भी धरती कहा जाये तो ग़लत नहीं होगा. पूरे प्रदेश में साल भर विभिन्न मौकों पर सैकड़ों मेले आयोजित किये जाते हैं. इनमें से ज्यादातर मेले धार्मिक, सां... Read more
भारत में खाया जाने वाला खाना पोषण की दृष्टि से बहुत समृद्ध है. गरीबी में भी गांवों के मेहनतकशों ने मामूली कीमत पर खाने की थाली में व्यंजनों का जो तालमेल बैठाया है उसमें पौष्टिकता का अद्भुत स... Read more
एक दिलकश हिमालयी ताल: देवरियाताल
रूद्रप्रयाग से 49 किमी की दूरी पर स्थित देवरिया ताल एक दिलकश हिमालयी है. हरे भरे जंगलों से घिरी इस अद्भुत झील के आईने में गंगोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और नीलकंठ की चोटियों के साथ... Read more
अनछुई जगह से लौटकर उस यात्रा के अधूरेपन का अहसास दिल को सालता रहता है. मेरे साथ हमेशा ही ऐसा होता है. उस जगह में रच-बसकर जीना हो तो अगली मुलाकातें जरूरी हो जाती हैं. दूसरी यात्रा में ही आप उ... Read more
कुमाऊनी लोकगायिका कबूतरी देवी (1945 – 7 जुलाई, 2018) ने सत्तर के दशक में अपने लोकगीतों से अपने लिए अलग जगह बनाई. साल 2016 में उत्तराखंडी लोक संगीत में अभूतपूर्व योगदान के लिए उत्तराखण... Read more
पहाड़ियों के लिए दिशाएँ सिर्फ दो होती हैं
होती होंगी दिशाएँ चार, आठ या दस. हम पहाड़ियों के लिए दिशाएँ होती हैं सिर्फ दो – ऊपर और नीचे. यूँ तो मुख्य दिशाएँ चार मानी जाती हैं पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण. इनके अतिरिक्त इन दिशाओं स... Read more
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