जिन्दगी में तीन सम्बन्ध कभी नहीं मिटते
17 जुलाई, 1969 को ठीक पचास साल पहले, आज ही के दिन. Tara Chandra Tripathi Memoir by Batrohi डिग्री कॉलेज के इन्टर सेक्शन के प्रिंसिपल कुद्दूसी साहब ने मुझे एक रजिस्टर थमाते हुए कहा, ‘त्रिपाठी... Read more
धारचूला के तेनसिंह को सलाम जिसने भांडमजुवा बनने की बजाय खुद्दारी से जिया अपना जीवन
आज किसी भाई ने अपने फेसबुक पोस्ट में ‘भांडमजुवा’ शब्द का प्रयोग किया है. वही भांडमजुवे जो अपने गांवों से भागकर शहर-कस्बों में जाकर वहां के होटल-ढाबों में बर्तन मांजने का काम करते... Read more
मौत और मोहब्बत की संगत में एक विकट सफ़र
फ़रवरी के आख़िरी दिन थे. मौसम को उदास और झाड़ रूख को झंखाड कर देने वाली हवा चलने लगी थी जिसे हमारे यहाँ लोकभाषा में फगुनहटा कहते हैं. बोकारो के सर्किट हाउस से हम थके उदास और टूटे अपनी अपनी स... Read more
लछिमा कैंजा भूत बनकर अपने ससुराल वालों के घर गई
कैंजा दूसरे नंबर की थी. उसकी परवरिश कुछ उपेक्षा के साथ हुई थी. नाम था लछिमा. इजा कहती थी, वह मूरख थी, लाटी जैसी, मुझे वह बेहद खुबसूरत लगती थी. उसकी नाक विशुद्ध पहाड़ी थी. वह भोली थी लेकिन उनम... Read more
आदमी को जमूरा बनाने में उस्ताद हुआ शहर-ए-अल्मोड़ा
चुर्रेट मुर्रेट जादू की लकड़ी घुमाईईलम के जोर से हाथ की सफाईबोल शिताबी क्या लेगासास बड़ी कि बहूबाप बड़ा कि बेटाधूल में फंक लगाकर रुपया बना दूंडुग डुग डुग डुग डुग डुग डुग डुग चल बेटा घुचड़ू ... Read more
अल्मोड़ा विविधताओं से भरा शहर है. विविधतायें इतनी कि कभी-कभी विविधता और विचित्रता में अंतर कर पाना किसी सामान्य आदमी के लिए असंभव होता है, मगर एक अल्मोड़िया के लिए नहीं. कहीं कोई मिलता नहीं,... Read more
उत्तराखंड में हिमालय और उसकी नदियों के तांडव का आकार प्रकार अब हर मौसम में धीरे–धीरे दिखने लगा है. लेकिन मौसमी बाढ़ इस इलाके में नई नहीं है. अपने जीवन में जल व पर्यावरण संरक्षण-संवर्धन पर अत... Read more
उन दिनों मेरे पिता टिहरी -गढ़वाल रियासत की राजधानी नरेन्द्रनगर के पास फकोट नामक स्थान पर तैनात थे. वहां एक राजकीय उद्यान था, पिता उसके अधीक्षक थे. उस उद्यान में सिर्फ सब्जियां उगाई जाती थीं.... Read more
भारती कैंजा और पेड़ के साथ उनकी शादी
भारती कैंजा अपने भाई-बहिनों में सबसे छोटी है, लेकिन जीवट में सबसे बड़ी. वह कभी किसी से फालतू नहीं बोलती. जब वह आठ साल की रही होगी, अपनी बुआ के घर ढकाली गई हुई थी. (Memoir by Govind Singh) वहा... Read more
मेरे बाबू ईजा की अजब गजब शादी
ईजा की शादी 11 साल की उम्र में हो गयी थी. दो साल पहले ही ताऊ डिगर सिंह की शादी ईजा की चचेरी बहन राधा से हुई थी. तभी तय हुआ कि उसी परिवार में एक और लड़की है कुंती. (Childhood Memoir Govind Sin... Read more
Popular Posts
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग