अल्मोड़ा में रामचंद्र गुहा का भाषण : दस कारण जो गांधी को अब भी प्रासंगिक बनाते हैं
आज रामचंद्र गुहा का जन्मदिन है. रामचंद्र गुहा की गिनती समकालीन भारत के सबसे प्रखर एवं बहुप्रतिभाशाली इतिहासकारों में होती है. उन्होंने इतिहास, पर्यावरण और क्रिकेट जैसे विविध विषयों पर अनेक म... Read more
ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती मेले की तस्वीरें
स्याल्दे बिखौती मेले का आयोजन शुरू हो चुका है. आल, नौज्यूल, गरख धड़े के थोकदार और प्रधान नगाड़े, निशानों, ढाल, तलवारों के साथ वीर रस की हुंकार भरते हुए युद्ध कला की बारीकियां दिखाने को पूरी... Read more
उत्तराखण्ड के नैनीताल जनपद में स्थित बेतालघाट नामक तहसील अनेक किस्से-कहानियों के लिए विख्यात है. हाल ही में इस अपेक्षाकृत कम विख्यात इलाके का भ्रमण किया हमारे फोटोग्राफर साथी जयमित्र सिंह बि... Read more
एक कुमाऊनी गाँव में आज की फूलदेई – फोटो निबंध
आज थी फूलदेई उत्तराखंड के पहाड़ों में आज फूलदेई मनाई गयी. फूलदेई वसंत के आगमन पर व्यक्त की जाने वाली प्रसन्नता का उत्सव है. यह समय शीत की सिहरन से बाहर निकल कर धूप के स्वागत और फूलों के पल्लव... Read more
नंदा देवी राज जात के अनूठे फोटो
उत्तराखंड में प्रत्येक बारह वर्ष में होने वाली ऐतिहासिक नंदा देवी राज जात भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी यानी नन्दाष्टमी को की जाने वाली एक देवयात्रा है जिसे कुमाऊँ में अल्मोड़ा और गढ़व... Read more
प्रकृति के वैभव के बीचोबीच है ऐड़ाद्यो का मंदिर
ऐड़ाद्यो के मंदिर (Airadyo Temple Uttarakhand) पहुँचने के लिए अल्मोड़ा से दो अलग-अलग रास्ते हैं. पहले रास्ते के लिए अल्मोड़ा से रानीखेत के समीप मजखाली होते हुए कोरेछीना पहुँचते हैं. कोरेछीना से... Read more
बिनसर की न भूलने वाली बर्फबारी
जादू है बिनसर (Binsar) में अल्मोड़ा से कुल तीस किलोमीटर दूर 2,420 मीटर की ऊंचाई पर अवस्थित है बिनसर. यहाँ से हिमालय की जादुई छवियाँ देखने को मिलती हैं. प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान बिनसर व... Read more
च्येपी बंग्बा का नारायण आश्रम और सोसा गाँव
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धारचूला तहसील के सोसा गाँव के इलाके में अवस्थित नारायण आश्रम को रं समाज में बहुत सम्मान और भक्ति के साथ देखा जाता है. समुद्र तल से 2,734 मीटर की ऊँचाई पर स्थित... Read more
कुमाऊँ का अनूठा नगीना है मुनस्यारी
अतीव सुन्दर जोहार घाटी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बहने वाली गोरीगंगा नदी के किनारे अवस्थित है. परम्परागत रूप से जोहार घाटी को तीन भौगोलिक हिस्सों में बाँट कर देखा जाता रहा है – मल्ला (ऊप... Read more
अल्मोड़ा कैंट में शरद
अल्मोड़ा का कैंट एरिया अल्मोड़ा के बीचों बीच होते हुए भी प्रतिदिन कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते जा रहे अल्मोड़ा में प्रकृति प्रेमियों और घूमने के लिए सबसे मुफीद जगह है. सर्दियों में प्रकृत... Read more
Popular Posts
- अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ
- पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला
- 1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक
- बहुत कठिन है डगर पनघट की
- गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’
- गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा
- साधो ! देखो ये जग बौराना
- कफ़न चोर: धर्मवीर भारती की लघुकथा
- कहानी : फर्क
- उत्तराखंड: योग की राजधानी
- मेरे मोहल्ले की औरतें
- रूद्रपुर नगर का इतिहास
- पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और तराई-भाबर में खेती
- उत्तराखंड की संस्कृति
- सिडकुल में पहाड़ी
- उसके इशारे मुझको यहां ले आये
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा