हुक्का क्लब 1930 से प्रतिवर्ष अल्मोड़ा में रामलीला का आयोजन करता आ रहा है. इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला के 2019 के आयोजन की फोटो जयमित्र सिंह बिष्ट द्वारा. जयमित्र सिंह बिष्टअल्मोड़ा के जयमित्र... Read more
अल्मोड़ा-बिनसर-कसारदेवी में एक अद्भुत दिन
अंग्रेज़ी में एक कहावत है – “You made my day!” ये कहावत अक्सर तब बोली जाती है जब किसी इंसान की वजह से आपका दिन बन जाए, पर तब क्या बोला जाए जब एक दिन के वजह से ही आपका दिन ब... Read more
उत्तराखंड के जननायक शमशेर सिंह की पहली पुण्यतिथि पर आज राज्य भर में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. इसी कड़ी में शमशेर सिंह बिष्ट के गृहनगर अल्मोड़ा में भी एक शानदार कार्यक्रम आयोजित किया गया.... Read more
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी अल्मोड़ा में मुस्लिम समुदाय द्वारा ताजियों का निर्माण किया गया. लाला बाजार, भियारखोला, कचहरी बाजार, थाना बाजार, नियाजगंज की समितियों की ओर कलात्मक ताजियों का न... Read more
अल्मोड़े में नन्दा देवी कौतिक की तस्वीरें
कुछ दिन पहले हमने आपको अल्मोड़े के नन्दा देवी कौतिक के पहले दिन की तस्वीरें दिखाई थी. आज अल्मोड़े के नन्दा देवी कौतिक की कुछ और अद्भुत तस्वीरें देखिये. आज भी नंदादेवी कौतिक की कुछ अद्भुत तस्वी... Read more
अल्मोड़ा के नन्दा कौतिक की ताजा तस्वीरें
आज से अल्मोड़ा ने नन्दा देवी मंदिर में कौतिक शुरु हो गया है. आज विभिन्न स्कूलों के बच्चों की झांकियों के साथ मेले शुरुआत हुई. (Photos of Nanda Devi Fair in Almora 2019) स्कूल के बच्चों की इन... Read more
काली कुमाऊँ योद्धाओं का क्षेत्र है, अतः यहाँ की सभी परंपराएँ शक्ति (ताकत) से जुड़ी हुई हैं. दानवों की भूमि होने के कारण संभवतः न्याय पक्ष के लिए सहज ही अपने प्राण उत्सर्ग करने की प्रवृत्ति य... Read more
जागेश्वर : बारह ज्योतिर्लिंगों का समूह जागेश्वर एक हिन्दू धार्मिक स्थान है जो अल्मोड़ा शहर से 37 किमी की दूरी पर है. समुद्र तल से 1,870 मी की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर समूह में कत्यूरीकाल, उत्त... Read more
काफल एक नोस्टाल्जिया का नाम है
गर्मियों में पहाड़ों के वन प्रांतर जंगली फलों और बेरियों से लद जाते हैं. हिसालू, किलमौड़ा और घिंघारू की झाड़ियाँ क्रमशः नारंगी, बैजनी और चटख लाल फलों से भर जाती हैं. यह अलग बात है कि उन्हें खान... Read more
अल्मोड़ा के दो पेड़ों का खूबसूरत मोहब्बतनामा
यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जो आपने पहले शायद ही कहीं पढ़ी या सुनी हो. यह कहानी पिछले तकरीबन 100 सालों से अल्मोड़ा की माल रोड में चल रही है और हमें उम्मीद है की आने वाले कई सालों तक ऐसे ही जारी... Read more
Popular Posts
- नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार
- भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू
- ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए
- सर्दियों की दस्तक
- शेरवुड कॉलेज नैनीताल
- दीप पर्व में रंगोली
- इस बार दो दिन मनाएं दीपावली
- गुम : रजनीश की कविता
- मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा
- विसर्जन : रजनीश की कविता
- सर्वोदयी सेविका शशि प्रभा रावत नहीं रहीं
- भू विधान व मूल निवास की लहर
- उत्तराखंड हिमवंत के देव वृक्ष पय्यां
- मुखबा गांव का आतिथ्य
- प्रकृति व महामाया का पर्व नवरात्रि
- प्रसूताओं के लिए देवदूत से कम नहीं ‘जसुमति देवी’
- असोज की घसियारी व घास की किस्में
- ब्रह्माण्ड एवं विज्ञान : गिरीश चंद्र जोशी
- परम्परागत घराट उद्योग
- ‘गया’ का दान ऐसे गया
- कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी
- यो बाटा का जानी हुल, सुरा सुरा देवी को मंदिर…
- कुमौड़ गांव में हिलजात्रा : फोटो निबन्ध
- शो मस्ट गो ऑन
- सेंट जोसेफ कॉलेज नैनीताल : देश का प्रतिष्ठित स्कूल