कुछ कविताएं एक ही बार पढ़ने के बाद भी हमारे मानस पटल पर हमेशा के लिए अंकित हो जाती हैं. रुडयार्ड किपलिंग की अंग्रेजी कविता ‘इफ’ मेरे लिए ऐसी ही कुछ कविताओं में से एक है. मैंने इसे पहली दफा विद्यार्थी जीवन में पढ़ा था. मेरे बड़े भाईसाहब, जो कि एक स्कूल के प्रिंसिपल हैं, को यह कविता बहुत पसंद थी. जीवन में अच्छे मार्ग पर चलने को प्रेरित करने के लिए वह मुझे तमाम पुस्तकें और बेहतरीन साहित्य पढ़वाते रहते थे. वह ही एक बार इस कविता का पोस्टर घर पर लाए थे.
(Rudyard Kipling Poem If)
आज मुझे लगता है कि हर व्यक्ति को न सिर्फ यह कविता पढ़नी चाहिए, बल्कि अपने बच्चों के लिए भी इसे बारंबार पढ़ना अनिवार्य कर देना चाहिए. यह कविता एक बार पढ़कर भुला दी जाने वाली नहीं है. इसे समय-समय पर पढ़ते रहना चाहिए, ताकि हम अपने भटके रास्तों से लौटकर सही राह पर आते रहें :
रुडयार्ड किपलिंग
अगर तुम तब भी अपने दिमाग पर काबू रख सकते हो
जब सभी बेकाबू होकर तुम्हें दोष दे रहे हों
अगर तुम खुद पर भरोसा कर सकते हो
जब सब तुम पर शक कर रहे हों
पर उनके शक पर ध्यान भी दे सकते हो
अगर तुम इंतजार कर सकते हो और इंतजार से थको नहीं
या झूठ के बीच झूठ न बोलने लगो
या नफरत किए जाने पर नफरत न करने लगो
फिर भी बहुत अच्छे नहीं दिखो, न बहुत समझदार बातें करो
अगर तुम सपने देख सको उन्हें अपना मालिक बनाए बिना
अगर तुम सोच सको सोचने को अपना लक्ष्य बनाए बिना
अगर तुम जीत और हार का सामना कर सकते हो
दोनों ढोंगियों के सामने एक जैसे बने रह सकते हो
अगर तुम अपने बोले सच को
धोखेबाजों द्वारा तोड़ने-मरोड़ने पर बर्दाश्त कर सकते हो
जो कि वे मूर्खों को फंसाने के लिए करते हैं
या जिन चीजों के लिए तुमने अपनी जिंदगी लगा दी
उन्हें बिखरते हुए देख सकते हो
और नीचे उतर अपने टूटे औजारों से उन्हें फिर से बना सकते हो
(Rudyard Kipling Poem If)
अगर तुम अपने जीवनभर की कमाई को एक साथ रख
उसे खेल की एक ही चाल में खोने का जोखिम उठा सकते हो
और सब कुछ हार कर फिर से शुरुआत कर सकते हो
अपनी हार पर कभी एक भी शब्द बोले बिना
अगर तुम सब कुछ चले जाने के बाद भी
अपने दिल, नसों और शिराओं से दोबारा अपने दिन फिरने तक काम ले सकते हो
और डटे रह सकते हो अपने भीतर कुछ शेष न रहते हुए भी
सिवाय उस इच्छाशक्ति के जो उन्हें कहती हो ‘डटे रहो!’
अगर तुम भीड़ से बात करते हुए भी गुणवान बने रह सकते हो
और राजाओं के साथ चलते हुए भी जनता से जुड़े रह सकते हो
अगर न दुश्मन-न ही दोस्त तुम्हारा दिल दुखा सके
अगर सब तुम पर भरोसा रख सकते हों
पर जरूरत से ज्यादा नहीं
(Rudyard Kipling Poem If)
अगर तुम मुश्किलों भरे एक मिनट को
साठ सेकंड की दौड़ वाली ऊर्जा से भर सकते हो
तो ये सारा जहां और इस जहां का सब कुछ तुम्हारा है
और इस सबसे ज्यादा तुम एक इंसान बनोगे
मेरे बेटे
(Rudyard Kipling Poem If)
-सुंदर चंद ठाकुर
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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.
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