एक समय था जब दुनिया भर में मलेरिया जानलेवा बीमारी मानी जाती थी और असंख्य लोग इसकी चपेट में आकर असमय काल कवलित हो जाया करते थे. मलेरिया के चलते ही उत्तराखंड के पहाड़ों से मैदानी भागों यानी तराई और भाबर में जाने वाले लोगों को लेकर यह मान लिया जाता था कि उनके वापस लौटने की संभावनाएं बहुत क्षीण होंगी क्योंकि वहां जाने वाले लोग बरसातों के मौसम में किसी अबूझ किस्म के ज्वर का शिकार होकर मर जाते थे. माना जाता था कि मलेरिया नामक यह असाध्य बुखार प्रदूषित मैदानी हवा के कारण होता था.
मलेरिया की बीमारी का कारण पहचानने वाले पहले वैज्ञानिक थे सर रोनाल्ड रॉस. उन्हें वर्ष 1902 का चिकित्सा नोबेल पुरुस्कार दिया गया था. यह सम्मान पाने वाले वे पहले ब्रिटिश नागरिक थे. इसके अलावा नोबेल से सम्मानित होने वाले वे ऐसे पहले व्यक्ति थे जिनका जन्म यूरोप से बाहर हुआ था.
सर रोनाल्ड रॉस का जन्म 13 मई 1857 को अल्मोड़ा में हुआ था.
ब्रिटिश इन्डियन आर्मी में ऊंचे पर पर तैनात सर कैम्पबेल ग्रांट रॉस और माटिल्डा शार्लोट एल्डरटन के दस बच्चों में सबसे बड़े थे रोनाल्ड. आठ साल का होने पर उन्हें पढ़ाई के लिए इंग्लैण्ड भेजा गया. बचपन से ही कला और कविता में दिलचस्पी लेने वाले रोनाल्ड को गणित में भी महारत हासिल थी. सोलह साल की आयु में उन्होंने चित्रकला में एक राष्ट्रीय स्तर का इनाम जीता. वे लेखक बनना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने उनका दाखिला एक मेडिकल कॉलेज में करवा दिया. बाईस साल की उम्र में वे बाकायदा डाक्टर बन गए और दो साल बाद उन्होंने इंडियन मेडिकल सर्विस ज्वाइन कर ली. इस सेवा में उन्होंने कुल पच्चीस साल बिताये.
भारत में अपनी सेवा के दौरान 1888-89 में वे स्टडी लीव पर इंग्लैण्ड गए और वहां उन्होंने बैक्टीरियोलॉजी में एक कोर्स किया. इस कोर्स ने उनके जीवन की दिशा बदल दी. इसके बाद वे भारत में विभिन्न स्थानों पर रहकर मलेरिया पर शोध करते रहे और 1897 में उन्होंने सिद्ध किया कि मलेरिया का बुखार मच्छरों के काटने से फैलता है. उन्नीसवीं सदी इस बेहद महत्वपूर्ण खोज करने पर उन्हें नोबेल पुरूस्कार मिला था.
दस्तावेज़ बताते हैं कि उन्होंने यह खोज प्रामाणिक तौर पर 21 अगस्त 1897 को की थी. इसके अगले दिन उन्होंने इस बाबत एक कविता लिख कर अपनी पत्नी को भेजी थी:
This day relenting God
Hath placed within my hand
A wondrous thing; and God
Be praised. At His command,
Seeking His secret deeds
With tears and toiling breath,
I find thy cunning seeds,
O million-murdering Death.
I know this little thing
A myriad men will save.
O Death, where is thy sting?
Thy victory, O Grave?
एक चिकित्सक और वैज्ञानिक के रूप में अपना करियर बनाने वाले रोनाल्ड रॉस बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने अनेक कविताएं लिखीं, उपन्यास प्रकाशित किये, गाने कम्पोज किये और चित्र बनाए. गणित की विलक्षण जन्मजात प्रतिभा उनके भीतर थी ही.
अल्मोड़ा में उनका जन्म जिस घर में हुआ उसका नाम था थॉमसन हाउस. यह घर आज भी अल्मोड़ा में मौजूद है. इस घर के बारे में एक और उल्लेखनीय बात यह है कि जुलाई 1896 में स्वामी विवेकानंद के अनुरोध पर मद्रास से प्रकशित होना शुरू हुई पत्रिका ‘प्रबुद्ध भारत’ का दफ्तर अगस्त 1898 में इसी घर में ले आया गया था. बी. आर. राजाराम अय्यर इसके सम्पादक थे. बाद में प्रबुद्ध भारत का कार्यालय चम्पावत के समीप मायावती आश्रम चला गया.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…