Featured

राजकीय बालिका इन्टर कालेज पिथौरागढ़ के परिसर में था खड़कोट का किला

सोर घाटी में गंगोत्री गर्ब्याल राजकीय बालिका इन्टर कालेज के परिसर में समय एक किला या गढ़ हुआ करता था. 1960 में स्कूल के सभागार निर्माण हेतु इसे तोड़ दिया गया. इस किले का लोकप्रिय नाम था खड़कोट का किला.

खड़कोट की चोटी पर होने के कारण इसे खड़कोट का किला कहते हैं. बिल्कीगढ़ नाम इसे अंग्रेजों ने दिया. अधिकांश लिखित साक्षों में इस किले का नाम बिल्कीगढ़ ही दिया गया है.

इस किले का निर्माण शायद युद्धकालीन संकट के लिये किया गया था. इस किले से सोर घाटी के चारों ओर का समतल हिस्सा दिखता था. खड़कोट की ऊंची पहाड़ी वैसे भी सीधी खड़ी पहाड़ी है. इसकी चोटी पर बने इस मीनारनुमा तीन मंजिल किले का और कोई औचित्य भी नज़र नहीं आता.

इस किले में भीतर जाने के लिये या घुसने के लिए कोई भी दरवाजा नहीं था. शायद लोग अंदर-बाहर जाने के लिये सीढ़ी का उपयोग करते हों. खड़कोट का किला ऊँचे टीले की उपरी सतह को तराश कर बनाये गए एक चबूतरे पर बनाया गया था. 15 फीट के वर्गाकार घेरे को तीन मंजिल में लगभग 61 फीट उठाया गया था. जहां से नगर की चौकसी भी की जाती थी.

खड़कोट के किले का फर्श मध्यकालीन शैली की लखौरी ईटों से बना था. इसकी छत खुली हुई थी जिसका प्रयोग संभवतः केवल शत्रु की गतिविधियों पर नजर रखने हेतु किया जाता हो.

खड़कोट के किले की दीवारों में चारों ओर एक पंक्ति से बंदूक दागने के लिये मोहरे बनी थी. इस तरह की मोहरें आज भी पिथौरागढ़ मुख्यालय में स्थित किले में दिख जायेंगी. डॉ. मोहन चंद्र भट्ट ने इस किले के विषय में कहा है कि यह किला राजा पिथौरा ने बनाया है जबकि गोरखाओं ने इसकी मरम्मत कराई थी हालांकि यह तथ्य अब तक विवादित है.

कुल मिलाकर इस किले के संबंध में कहा जा सकता है कि यह सोर घाटी में स्थित एकप्रकार का वाच टावर होगा जिसपर से सामान्य समय में नगर की चौकसी की जाती होगी और युद्धकाल में शत्रुओं पर गोले बम बरसाये जाते होंगे.

संदर्भ ग्रन्थ : डॉ राम सिंह की पुस्तक ‘सोर’ ( मध्य हिमालय ) का अतीत के आधार पर

– काफल ट्री डेस्क

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

18 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago